गोपालगंज में केला व पपीते की खेती से किसान दिखा रहे खुशहाली की रास्ता, खरीदारी के लिए खेत पहुंच रहे है व्यापारी
अब जिले के कई गांवों की खेतों में अब पपीता व केला अपनी मिठास घोल रही है। समय के साथ जले के 70 हेक्टेयर में पपीता तथा 70 हेक्टेयर में केला की खेती होने लगी है। इसके अलावा किसानों को रुझान चुकंदर की खेती की ओर भी दिखने लगा है।

मिथिलेश तिवारी, गोपालगंज। अब जिले के कई गांवों की खेतों में अब पपीता व केला अपनी मिठास घोल रही है। दस साल पहले किसानों ने पपीता तथा केले की खेती की ओर अपना रुख किया। समय के साथ जले के 70 हेक्टेयर में पपीता, तथा 70 हेक्टेयर में केला की खेती होने लगी है। इसके अलावा किसानों को रुझान चुकंदर की खेती की ओर भी दिखने लगा है। फलों की खेती से होने वाली आय को देखते हुए इस इलाके के किसानों में इसकी खेती करने के प्रति रुझान बढ़ने लगा है।
पंचदेवरी प्रखंड के कुइसा खुर्द तथा उसके आसपास का इलाका इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। इस इलाके के खेतों में अब पपीता व केला अपनी मिठास घोल रही है। दस साल पहले कुइसा खुर्द गांव निवासी किसान रामाशंकर पड़ित ने पपीता व केला की खेती करने की पहल की। इनकी यह पहल अब इस इलाके के किसानों को अपने घरों में खुशहाली लाने का रास्ता दिखा रही है।
पपीता व केला की खेती से होने वाली आय को देखते हुए इस इलाके के किसानों में इसकी खेती करने के प्रति रुझान बढ़ने लगा है। अब कुइसा खुर्द तथा इसके आसपास के गांवों के खेतों में पपीता व केला की फसल लहलहा रही है। पंचदेवरी तथा आसपास के फल व्यवसायी किसानों के पास पपीता व केला खरीदने के लिए आते हैं। किसानों को अपने खेत में ही पपीता व केले की अच्छी कीमत मिल रही है।
पहले परंपरागत खेती की ओर था किसानों का ध्यान
पंचदेवरी के कुइसा खुर्द गांव निवासी किसान रामाशंकर पड़ित पहले धान तथा गेहूं की परंपरागत तरीक से खेती करते थे। आठ बीघा खेत से धान तथा गेहूं की खेती से होनी वाली आय से मुश्किल से घर गृहस्थी का काम चल पाता था। मौसम साथ नहीं देने पर लागत भी नहीं निकल पाती थी। इसी बीच बागवानी को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजना की जानकारी रामाशंकर पड़ित हो हुई। इन्होंने कृषि विभाग के माध्यम से सिपाया कृषि विज्ञान केंद्र में प्रशिक्षण लेकर साल 2010 में पपीता की खेती करना शुरू किया।
पपीता की खेती से अच्छी आय होने लगी। वे आधुनिक तरीके से पपीता के साथ ही वे केला की भी खेती करने लगे। पपीता तथा केला की खेती से होने वाली आय से पक्का मकान बनवाया। अपने तीन बेटों को उच्च शिक्षा दिलाई। सरकारी योजना का लाभ लेकर इन्होंने अपने खेत में सोलर पंप लगा लिया है। वर्मी कंपोस्ट भी ये तैयार कर रहे हैं। अब ये सरकारी योजना का लाभ लेकर पपीता की नर्सरी भी तैयार कर रहे हैं। पपीते की खेती करने की इनकी पहल ने इस इलाके के किसानों को अपने घरों में खुशहाली लाने का रास्ता दिखा दिया है। पड़ोसी गांव कपुरी के किसान आतम सिंह बड़े पैमाने पर केला की खेती कर रहे हैं।
पंचदेवरी के आसपास 50 एकड़ में हो रही पपीता व केला की खेती
पंचदेवरी प्रखंड के आसपास के गांवों के किसानों में पपीता व केला की खेती करने का रुझान बढ़ने लगा है। इस इलाके के 50 एकड़ खेत में अब पपीता व केला की फसल लहलहा रही है। यहां के किसान बताते हैं कि अब खेत में तैयार पपीता व केला को व्यापारी खुद खेत में आकर खरीदते हैं। खेत में ही पपीता व केला की अच्छी कीमत मिल जाती है।
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