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    मरीजों की सेवा करने को ठुकरा दी आइएएस की नौकरी

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 22 Nov 2018 05:07 PM (IST)

    यह कहानी उस चिकित्सक की है जिन्होंने मरीजों की सेवा करने के लिए आइएएस की नौकरी को ठुकरा दिया।

    मरीजों की सेवा करने को ठुकरा दी आइएएस की नौकरी

    गोपालगंज। यह कहानी उस चिकित्सक की है जिन्होंने मरीजों की सेवा करने के लिए आइएएस की नौकरी को ठुकरा दिया। इसी साल डॉ. अभिषेक रंजन को यूपीएससी की परीक्षा में 887 वां रैंक मिला। लक्ष्यदीप कैडर में आइएएस के रूप में उनका चयन हुआ। लेकिन डॉ. अभिषेक रंजन ने अपने गांव तथा इलाके के मरीजों की सेवा करने के लिए आइएएस की नौकरी को ठुकरा दिया। चिकित्सक अपने क्लीनिक में आने वाले गरीब परिवार को मरीजों का निश्शुल्क इलाज करते हैं। ग्रामीण इलाकों में चिकित्सा शिविर भी लगाते हैं। डॉ. अभिषेक रंजन अब तक सौ गांवों में शिविर लगाकर दस हजार से अधिक गरीब परिवार के मरीजों का इलाज कर चुके हैं।

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    मांझा प्रखंड के कोइनी गांव निवासी अभिषेक रंजन ने कटक मेडिकल कॉलेज से मेडिकल की पढ़ाई की है। पढ़ाई पूरी करने के बाद 2015 में पटना एम्स में चिकित्सक के पद पर इनकी नियुक्ति हुई। यहां तीन साल मरीजों की सेवा करने के बाद 31 मार्च 2019 को इस्तीफा देकर आने गांव आ गए तथा शहर के जादोपुर रोड में अपना क्लीनिक खोला। इसी साल इन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास की तथा लक्ष्यदीप कैडर में आइएएस के पद पर इनका चयन हुआ। लेकिन मरीजों की सेवा करने के लिए इन्होंने नौकरी ज्वाइन नहीं की। हृदय एवं क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. अभिषेक रंजन बताते हैं कि एम्स में चिकित्सक के पद पर तैनाती के दौरान दूर दराज के जिलों से आए गरीब लोगों की परेशानी देखकर काफी पीड़ा होती थी। गरीबी के कारण मरीज अपना ठीक से इलाज नहीं करा पाते हैं। जिसे देखते हुए मैंने अपने जिले में आकर मरीजों की सेवा करने का फैसला कर लिया। नौकरी छोड़कर अपने शहर में आकर क्लीनिक खोला। इसी बीच परिवार के लोगों के कहने पर यूपीएससी की परीक्षा में इस साल शामिल हुआ। इसमें सफलता भी मिली। लेकिन मेरा लक्ष्य अधिकारी बनना नहीं था। इसलिए मैंने नौकरी ज्वाइन नहीं किया। अपने क्लीनिक में आने वाले गरीब परिवार के मरीजों का निश्शुल्क इलाज करने के साथ ही डॉ. अभिषेक रंजन करीब सौ गांवों में शिविर लगाकर गरीब परिवार के दस हजार मरीजों का इलाज कर चुके हैं। वे बताते हैं कि आज भी सुदूर गांव के लोग अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक नहीं है। ये लोग अपने गांव के आसपास के झोला छाप चिकित्सकों से अपना इलाज कराकर दवा लेते हैं। जिससे बीमारी गंभीर हो जाती है। गांवों में शिविर लगाने का उद्देश्य गरीब मरीजों का इलाज करने के साथ ही उन्हें अपने स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना भी है। अब इस अभियान में कुछ अन्य चिकित्सकों तथा सामाजिक कार्यकर्ता भी शामिल होने लगे हैं। जिससे मरीजों के सेवा करने के सफर पर निकले डॉ.अभिषेक रंजन का अभियान अब और गति मिलने लगी है।