'एसपी साहब, इंस्पेक्टर बना दीजिए...', खुद को CM का OSD बताकर बुरा फंसा साइबर ठग; पढ़ें कैसे खुला राज
गोपालगंज में साइबर अपराधियों ने एसपी को मुख्यमंत्री का ओएसडी बनकर फोन किया और एक दारोगा को थानाध्यक्ष बनाने की सिफारिश की। संदेह होने पर एसपी ने जांच कराई और पाया कि कॉल करने वाला साइबर ठग था। उन्होंने तत्काल दारोगा को निलंबित कर दिया और मामले की जांच साइबर थाने को सौंप दी।

जागरण संवाददाता, गोपालगंज। जिले में पुलिस पदाधिकारियों के तबादले के बीच एक बड़ा साइबर फर्जीवाड़ा का प्रयास उजागर हुआ है। साइबर अपराधियों ने गोपालगंज एसपी को फोन कर खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) बताते हुए एक दारोगा को थानाध्यक्ष बनाने की सिफारिश की।
मामला संदेहास्पद लगने पर एसपी अवधेश दीक्षित ने कड़ा रुख अपनाया और पूरे मामले की जांच साइबर डीएसपी को सौंप दी। साथ ही संदिग्ध दारोगा को निलंबित कर दिया गया।
सूत्रों के अनुसार, बरौली थाना में तैनात एक दारोगा का नाम तब चर्चा में आया जब इंटरनेट मीडिया पर यह अफवाह फैलाई गई कि उसकी फुलवरिया थानाध्यक्ष के रूप में पोस्टिंग हो गई है। इसी क्रम में एसपी को एक फोन कॉल आया।
कॉल करने वाले ने खुद को मुख्यमंत्री का ओएसडी गोपाल मंडल बताकर सीधे तौर पर उक्त दारोगा को थानाध्यक्ष बनाने की सिफारिश की। 14 अगस्त को एसपी को फोन पर की गई यह सिफारिश अटपटी लगी।
उन्होंने तुरंत सत्यापन कराया, जिसमें यह स्पष्ट हो गया कि कॉल करने वाला व्यक्ति मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़ा कोई अधिकारी नहीं बल्कि एक साइबर ठग है। इसके बाद एसपी ने तत्कॉल कार्रवाई करते हुए दारोगा शमशाद रजा को निलंबित कर दिया और मामले की जांच साइबर थाना को सौंप दी।
एसपी अवधेश दीक्षित ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा साइबर डीएसपी अवंतिका दिलीप कुमार को दिया गया है। साइबर टीम ने तकनीकी जांच शुरू कर दी है और फर्जी कॉल करने वाले की पहचान भी कर ली गई है।
उसके खिलाफ सोमवार को धोखाधड़ी, प्रतिरूपण और आईटी एक्ट की धाराओं में प्राथमिकी की गई है। एसपी ने यह भी कहा कि अगर जांच में संबंधित दारोगा की संलिप्तता पाई जाती है तो उनके खिलाफ भी कठोर विभागीय और कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इंटरनेट मीडिया पर भी फैली अफवाह
इस मामले का एक और अहम पहलू यह है कि दारोगा शमशाद रजा की फुलवरिया थानाध्यक्ष के रूप में नियुक्ति की फर्जी सूचना इंटरनेट मीडिया पर तेजी से फैल गई थी। इससे विभागीय स्तर पर भी भ्रम की स्थिति बन गई। जांच में यह भी पता लगाया जा रहा है कि इस फर्जी खबर को किसने और क्यों वायरल किया।
साइबर अपराधियों की नई चाल
विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना साइबर अपराधियों की बदलती रणनीति को उजागर करती है। अब वे सीधे अफसरों को फोन कर खुद को बड़े पदों पर आसीन बताकर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इससे न केवल पुलिस विभाग की छवि प्रभावित होती है, बल्कि पदस्थापना जैसी संवेदनशील प्रक्रिया भी संदिग्ध हो जाती है।
किसी भी स्तर पर इस प्रकार का फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं : एसपी
फिलहाल, संबंधित दारोगा को निलंबित कर दिया गया है और उनकी भूमिका पर पुलिस गहराई से जांच कर रही है। तकनीकी जांच रिपोर्ट आने के बाद यह स्पष्ट हो जाएगा कि दारोगा और साइबर अपराधियों के बीच कोई संबंध था या नहीं। एसपी ने साफ कहा है कि किसी भी स्तर पर इस प्रकार का फर्जीवाड़ा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषी चाहे कोई भी हो, उसे बख्शा नहीं जाएगा।
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