लापरवाही की 'लक्ष्मण रेखा' पार: शिक्षा विभाग के 3 अधिकारियों पर बजा दंड का डंका, 25-25 हजार का जुर्माना
बिहार शिक्षा विभाग ने लापरवाही बरतने वाले तीन अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। यह कार्रवाई उनकी जिम्मेदारी में लापरवाही के चलते की ...और पढ़ें
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नीरज कुमार, गोपालगंज। जिला अपीलीय प्राधिकरण, गोपालगंज ने सरकारी आदेशों को बार-बार नजरअंदाज करने वाले शिक्षा विभाग के तीन अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। मामला संख्या 05/2025 (सुमित कुमार बनाम जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं अन्य) से जुड़ा है, जिसमें लंबे समय से आदेश का पालन नहीं किया जा रहा था। प्राधिकरण के इस सख्त कदम ने पूरे विभाग में हड़कंप मचा दिया है।
प्राधिकरण के अध्यक्ष ओमप्रकाश द्वारा 05 दिसंबर यानी शुक्रवार को जारी आदेश में स्पष्ट कहा गया कि अपील संख्या 89/2023 पर दिनांक 11 फरवरी 2025 को पारित निर्देशों को 30 दिनों के भीतर लागू करना अनिवार्य था। बावजूद इसके, लगभग दस महीने बीतने के बाद भी न तो आदेश का अनुपालन हुआ और न ही किसी सक्षम मंच पर कोई अपील दायर की गई, जो सीधे तौर पर विधिक प्रक्रिया और प्रशासनिक अनुशासन का उल्लंघन है।
बीच-बीच में संबंधित अधिकारियों को कई बार शो-कॉज नोटिस भी भेजे गए, लेकिन किसी भी नोटिस पर संतोषजनक जवाब नहीं मिला। प्राधिकरण ने इसे आदेश की स्पष्ट अवहेलना मानते हुए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना), प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी बैकुंठपुर तथा पंचायत सचिव, ग्राम पंचायत राज बांधौली बनौरा, इन तीनों को दोषी करार दिया है।
इन पर 25-25 हजार रुपये का दंड अधिरोपित करते हुए यह निर्देश दिया गया है कि जुर्माने की पूरी राशि 15 दिनों के भीतर सिविल कोर्ट स्थित विधिक सेवा प्राधिकरण, गोपालगंज में जमा की जाए। आदेश में यह भी चेतावनी दी गई है कि निर्धारित समय सीमा में राशि जमा न होने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कानूनी कार्रवाई की जाएगी, जिसमें विभागीय अनुशासनात्मक कार्यवाही और अन्य वैधानिक कदम शामिल होंगे।
इस कार्रवाई के बाद शिक्षा विभाग के विभिन्न स्तरों पर मचे हड़कंप से यह संदेश साफ हो गया है कि अब सरकारी आदेशों की अनदेखी किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। प्राधिकरण की सख्ती ने अधिकारियों को समयबद्ध अनुपालन के महत्व का एहसास कराया है।
जिला अपीलीय प्राधिकरण का यह निर्णय प्रशासनिक जवाबदेही को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। यह मामला विभाग के लिए एक बड़ा सबक बनकर उभरा है कि कानून के आदेश को टालना अब भारी पड़ सकता है।

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