Bihar News: बार बालाओं के डांस से चलता करोड़ों का कारोबार, बंगाल से आती हैं नर्तकियां
गोपालगंज जिले के हथुआ अनुमंडल में शादी के सीजन में बार बालाओं के डांस का चलन बढ़ गया है, जिससे करोड़ों का कारोबार होता है। यहां पश्चिम बंगाल से नर्तकियां आती हैं और ऑर्केस्ट्रा ग्रुपों के साथ कार्यक्रम करती हैं। इससे स्थानीय युवाओं को रोजगार मिलता है और भोजपुरी गीतों को भी बढ़ावा मिलता है।

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (जागरण)
संवाद सूत्र, हथुआ (गोपालगंज)। गोपालगंज जिले का हथुआ अनुमंडल अब शादी-ब्याह के सीजन में बार बालाओं के डांस के लिए बड़ा केंद्र बन चुका है।
पहले यह परंपरा सिर्फ शहरों और कुछ प्रमुख कस्बों तक सीमित थी, लेकिन अब ग्रामीण इलाकों में भी शादियों में बार बाला बुलाना सामाजिक रुतबे की बात मानी जाने लगी है। हर साल शादी के सीजन में यहां करोड़ों रुपये का कारोबार होता है।
जानकारों के अनुसार, हथुआ अनुमंडल के मीरगंज, बड़कागांव, मिश्रबतरहा, हुस्सेपुर, लामीचौर, सिसई बाजार, भोरे, कटेया और पंचदेवरी जैसे इलाके ऑर्केस्ट्रा के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं।
इन क्षेत्रों में सक्रिय सैकड़ों आर्केस्ट्रा ग्रुपों में काम करने वाली नब्बे फ़ीसदी नर्तकियां पश्चिम बंगाल से आती हैं। शादी-ब्याह के सीजन में ये नर्तकियां हफ्तों तक स्थानीय बाजारों और गांवों में कार्यक्रम करती रहती हैं।
एक नर्तकी को प्रति कार्यक्रम एक से ढाई हजार रुपये तक भुगतान किया जाता है। एक ग्रुप सीजन में औसतन 40 से 60 कार्यक्रम करता है, जिससे हर साल करोड़ों रुपये का लेन-देन होता है।
ऑर्केस्ट्रा से जुड़े लोगों का कहना है कि बार बालाओं के डांस से सैकड़ों स्थानीय युवाओं को भी रोजगार मिला है—कोई साउंड सिस्टम संभालता है तो कोई लाइटिंग या बैंड पार्टी से जुड़ा रहता है।
भोजपुरी गीतों की लोकप्रियता में भी इन ऑर्केस्ट्रा ग्रुपों की भूमिका अहम है। मंचों पर गूंजते गानों से तय होता है कि कौन-सा गाना हिट है और कौन सुपरहिट। पहले जहां अश्लील गीतों पर थिरकती भीड़ की चर्चा होती थी, वहीं अब कुछ ग्रुपों ने पारिवारिक माहौल में प्रस्तुतियां देना शुरू किया है।
प्रशासनिक स्तर पर इन ग्रुपों का पंजीकरण शुरू किया गया है, लेकिन अधिकांश अभी भी बिना रजिस्ट्रेशन के काम कर रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, केवल हथुआ अनुमंडल में 200 से अधिक ऑर्केस्ट्रा ग्रुप सक्रिय हैं, जिनमें सैकड़ों बंगाली नर्तकियां काम कर रही हैं।
तेज संगीत और रंगीन लाइटों के बीच थिरकती ये बालाएं अब सिर्फ मनोरंजन का हिस्सा नहीं रहीं, बल्कि हथुआ अनुमंडल की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और सामाजिक परिवेश की एक सशक्त कड़ी बन चुकी हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।