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    बिहार विधानसभा चुनाव 2025: गोपालगंज में चुनावी सरगर्मी तेज, प्रत्याशियों के घोषणा से पहले ही जन चर्चा हुई तेज

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 12:32 PM (IST)

    बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नज़दीक आते ही गोपालगंज में चुनावी माहौल गरमा गया है। अभी तक प्रत्याशियों की घोषणा नहीं हुई है, फिर भी लोगों में चर्चा ज़ोरों पर है। संभावित उम्मीदवारों के नामों पर अटकलें लगाई जा रही हैं और युवा भी बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। यह चुनावी सरगर्मी राजनीतिक दलों को जनता की राय जानने में मदद करेगी।

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    चुनावी चर्चा में जुटे लोग

    मनोज कुमार राय, कुचायकोट (गोपालगंज)। आगामी 6 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर जिले के सभी छह विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। मात्र दो विधानसभा क्षेत्रों के लिए एक राजनीतिक दल द्वारा अपने प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। इसके अलावा किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन ने अब तक आधिकारिक रूप से अपने प्रत्याशियों के नामों की घोषणा नहीं की है।

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    हालांकि, पार्टी नेतृत्व से मिले आश्वासन के बाद कई संभावित प्रत्याशियों ने जनसंपर्क अभियान शुरू कर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। लगभग 3 सप्ताह का समय मतदान के लिए बचा है।


    नामांकन प्रक्रिया और प्रत्याशियों की आधिकारिक घोषणा के बीच अब उम्मीदवारों और दलों को लेकर लोगों में चर्चा, बहस और तर्क-वितर्क तेज हो गया है। चाय-पान की दुकानों से लेकर चौक-चौराहों और बाजारों तक लोग अपनी पसंद के प्रत्याशियों, दलों और मुद्दों के अनुसार मुखर दिखाई दे रहे हैं। इन चर्चाओं में स्थानीय समस्याओं से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे शामिल हैं। शनिवार को ऐसी ही एक चर्चा कुचायकोट बाजार स्थित एक दुकान के सामने चल रही थी।

    चर्चा में शामिल सुगंध कुमार कहते हैं, “अब जनता सजग, समझदार और परिपक्व हो चुकी है। जनता को बरगलाया नहीं जा सकता। जो प्रत्याशी और दल आम जनता के सुख-दुख में रहकर उनके मुद्दों को मुखरता से उठाएगा, वही जनता का नुमाइंदा बनेगा। चुनाव जीतने के बाद पटना में गायब हो जाने वाले प्रत्याशियों को जनता इस बार नकार देगी।

    रजनीश राय कहते हैं, “स्थानीय स्तर पर जनता से जुड़ी समस्याओं और गतिविधियों को लेकर प्रत्याशियों को अपना रुख स्पष्ट करना होगा। पिछले सात साल से सासामुसा स्थित चीनी मिल बंद है, जिससे पूरे क्षेत्र के हजारों किसानों का जीवन प्रभावित है। इस बार के चुनाव में चीनी मिल का मुद्दा प्रमुख रहेगा और सभी प्रत्याशियों को इस पर जवाब देना होगा।”

    चर्चा की दिशा बदलते हुए डॉ. प्रिंस कुमार कहते हैं, “भले ही सरकार ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से जनता को राहत देने की कोशिश की हो, पर शिक्षा, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर जनता इस बार प्रत्याशियों को परखेगी।

    ओमप्रकाश यादव का कहना है, “जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का मुद्दा भी इस बार बड़ा चुनावी मुद्दा रहेगा। स्वास्थ्य क्षेत्र में कुछ विकास जरूर हुआ है, लेकिन मेडिकल कॉलेज की घोषणा से आगे बात नहीं बढ़ सकी।”

    वहीं आर्यन सिंह कहते हैं, “उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसर भी इस बार के चुनाव में बड़ा मुद्दा होंगे। जिले में उच्च शिक्षा के लिए कोई प्रमुख संस्थान नहीं है, जिसके कारण छात्रों को दूसरे राज्यों या शहरों की ओर रुख करना पड़ता है।

    ”दीपक कुमार उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए कहते हैं, “अगर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की व्यवस्था सुदृढ़ हो जाए तो पलायन की समस्या से युवाओं को काफी राहत मिल सकती है।”