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    गोपालगंज में चुकंदर की खेती से खुशहाली लाने की राह दिखा रहे अनिरुद्ध

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 23 Jan 2021 09:36 PM (IST)

    पहले करते थे नौकरी अब खेती से संवार रहे जीवन लॉकडाउन लगने के बाद छूट गई थी नौकरी।

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    गोपालगंज में चुकंदर की खेती से खुशहाली लाने की राह दिखा रहे अनिरुद्ध

    जागरण संवाददाता,गोपालगंज : कोरोना को लेकर लॉकडाउन लगने के बाद अपने घर आए पंचदेवरी प्रखंड के भठवा खुर्द गांव निवासी अनिरुद्ध मिश्रा यह तय नहीं कर पा रहे थे कि क्या करें, जिससे जीविका चल सके। कोई रास्ता नहीं सूझा तो इस युवक ने यह तय किया कि जब तक कोरोना संकट है, तब तक खेती करते हैं। बाद में फिर कहीं न कहीं नौकरी तो मिल ही जाएगी। इस युवक ने अपनी पंचायत के किसान सलाहकार से सलाह लेकर चुकंदर की खेती शुरू की। पहले ही सिजन में चुकंदर की खेती से 60 हजार रुपये की आय हुई। पहली फसल के बाद इस युवक ने फिर से अपने तीन बीघा खेत में चुकंदर की फसल लगाई है। चुकंदर की खेती से होने वाली आय को देखते हुए अब आसपास के गांवों के किसानों ने भी इसकी खेती शुरू की है। इस युवक ने चुकंदर की खेती से घर में खुशहाली लाने की राह किसानों को दिखा दी है।

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    पंचदेवरी के भठवा खुर्द गांव निवासी 35 वर्षीय अनिरुद्ध मिश्रा हरियाणा के गुरुग्राम में एक निजी कारखाने में सुपरवाइजर के पद पर काम करते थे। मार्च में लॉकडाउन लगने पर कारखाना बंद हो गया। उन्हें घर लौटना पड़ा। अनिरुद्ध मिश्रा बताते हैं कि घर आने के बाद खाली बैठकर समय काटना मुश्किल हो गया। उस समय बाजार में सब्जी खरीदने जाने पर 80 रुपये किलो चुंकदर मिल रहा था। तभी यह सोचा कि क्यों ने जब तक घर बैठे हैं, चुकंदर की खेती ही करें। इसके बाद किसान सलाहकार से इस संबंध में बात की। उनसे सलाह लेकर एक बीघा में चुकंदर की खेती शुरू की। पहले ही सिजन में चुकंदर से 60 हजार रुपये की आय हुई। उन्होंने बताया कि एक बीघा में लगाने के लिए चार हजार रुपये की बीज खरीदे थे। सौ क्विटल चुकंदर तैयार हुआ। खेत में ही स्थानीय सब्जी व्यापारी ने 60 रुपये किलो के हिसाब से चुकंदर खरीद लिया। अब उन्होंने अपने तीन बीघा खेत में चुकंदर की फसल लगाई है। अनिरुद्ध मिश्रा बताते हैं कि अब जहां काम करते थे, वह कारखाना खुल गया है। कंपनी वाले काम पर बुला रहे हैं। लेकिन अब वे कहीं नौकरी नहीं करेंगे। अब समझ में आ गया है कि खेती से भी जीविका अच्छी तरह से चलाई जा सकती है, बस जरूरत इस बात की है कि उन्नत तरीके से खेती की जाए।