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    गया: बंदियों की मदद से गया केंद्रीय कारा परिसर में लगाएं पौधों से बदली फिजा, देखरेख कर पर्यावरण को दे रहे बढ़ावा

    By Prashant Kumar PandeyEdited By:
    Updated: Mon, 09 May 2022 09:53 AM (IST)

    गया केंद्रीय कारा में लगातार सुधार की प्रक्रिया चल रही है। कभी बंदियों के विचारों को बदलने के लिए भगवान बुद्ध उपदेश व संदेशों को दीवारों का उकेरने का काम किया गया। पिछले माह में फूल और छायादार के सैकड़ों पौधे लगाए गए थे। इसकी देखभाल भी यही कैदी करेंगे।

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    गया केंद्रीय कारा की तस्वीर, जागरण आर्काइव

     जागरण संवाददाता, गया: गया केंद्रीय कारा में लगातार सुधार की प्रक्रिया चल रही है। कभी यहां से कोयला की धुंआ को हटाकर बीमारी से बचाने के लिए गैस सिलेंडर का उपयोग शुरु हुआ। तो कभी बंदियों के विचारों को बदलने के लिए भगवान बुद्ध उपदेश व संदेशों को दीवारों का उकेरने का काम किया गया। इस बीच कारा परिसर के पर्यावरण को बढ़ाने और बंदियों को स्वच्छ हवा मिले, इसके लिए पौधा रोपण कार्यक्रम की शुरुआत की गई। पहले से कारा में दर्जनों विशाल वृक्ष लगे हुए हैं, उसकी छाया में बंदी सुकुन की जिंदगी बीता रहे हैं। 

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    पिछले माह में फूल और छायादार के सैकड़ों पौधे लगे

    बदलते परिसर में पिछले माह में फूल और छायादार के सैकड़ों पौधे कारा परिसर में लगाकर यहां की फिजा बदल दी गई है। इन पौधों को जिस स्थल पर लगाया गया है, उस वार्ड के बंदियों को इसकी देखभाल करने की जिम्मेवारी दी गई है। सुबह और शाम को बंदी इन पौधों को पटाने और सिंचाई करने का काम भी करते हैं। ताकि पौधों को बचाया जा सके। बंदियों के प्रयास से धीरे-धीरे पौधा अब तरूण यानि बड़ा आकार ले रहा है। जिसे देखकर कारा प्रशासन और बंदियों का मन प्रफ्फूलिज होता है। पौधा जब तरूण आकार ले रहा है, तो कुछ पौधों का पंखुडी या फिर फूल निकल आया है। जो निश्चत तौर पर वातावरण को स्वच्छ रखने के साथ-साथ सुगंधित कर रहा है। इस तरह से पौधारोपण और देखभाल का कार्य चलता रहा, तो आने वाले महीनों में पूरा परिसर हरा-भरा हो जाएगा। जो पूरे वातावरण की फिजा को बदल देगी।

    क्यारी बनाकर पौधों की हुई सजावट

    यहां रहने वाले बंदी को पौधा को लगाने के लिए बहुत हीं सुंदर तरीके से क्यारी तैयार की गई है। क्यारी में अलग-अलग प्रभेद के पौधा को कूछ दूरी पर लगाया गया है। क्यारी में लगे पौधा से यहां के परिसर की फिजा बदल गई है। विशेषकर क्यारी गुलमोहर, गुलदाबदी, गेंदा, अशोक का पौधा सहित कई कैकटस का सैकड़ों पौधा लगा है। इन पौधों की साज-सज्जा देखते हीं बन रही है। अलग-अलग मामले में कारा में बंद बदियों के मन शायद इन पौधों को देखकर बदल रही है। कुछ बंदी तो पर्यावरण को बचाने में लगे हैं। पौधों की देखरेख, सुबह से लेकर शाम तक सेवक करना और जरूरत के हिसाब से पानी और खाद भी देने का काम करते हैं। निश्चित रूप से यह कारा नहीं बल्कि सुधार गृह प्रतीत होता है।

    स्वयं के प्रयास से दिखता है बदलाव

    कारा उपाधीक्षक रामानुज राम ने बताया कि कारा में बदलाव एक अधिकारी और बंदी से संभव नहीं है। पौधारोपण में प्रशासनिक अधिकारी और बंदियों का सामूहिक प्रयास से पौधारोपण किया गया है। सभी बंदियों ने योगदान दिया है, सभी एक-एक पौधा लगाकर उसका देखरेख कर भीषण गर्मी में जीवंत रखा गया है। अब वह पौधा धीरे-धीरे बड़ा आकार ले रहा है। जो गर्मी के मौसम में राहत देने का काम कर रहा है। आने वाले बारिश के मौसम में पौधारोपण की संख्या बढ़ाई जाएगी।