जीरोटीलेज से 125 एकड़ में हो रही गेहूं की खेती
फोटो 209 -कृषि विज्ञान केंद्र मानपुर ने किसानों को दिया है उन्नत बीज दवा व बुआई का खर्च -रसलपुर व रूपसपुर गांव में कराई जा रही आधुनिक तकनीक से खेती -जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत कराई जा रही खेती ------- -10-12 क्विंटल प्रति एकड़ सामान्य तरीके से उपज -14-16 क्विंटल प्रति एकड़ जीरोटीलेज तकनीक से उपज -15 से 25 फीसद खेती लागत में बचत का अंतर ----------- जागरण संवाददाता गया
गया । जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के तहत गया जिले में जीरोटीलेज तकनीक से गेहूं की खेती कराई जा रही है। रसलपुर व रूपसपुर गांव में करीब 125 एकड़ में इस नई तकनीक से गेहूं की खेती शुरू हुई है। इसमें 80 से 100 किसान जुड़े हैं। कृषि विज्ञान केंद्र, मानपुर की ओर से जीरोटीलेज से गेहूं की खेती के लिए बीज, बुआई का खर्च, बीजोपचार की दवा उपलब्ध कराई गई है। किसानों के खेत में उन्नत प्रभेद की गेहूं एचडी 29 67 लगाई गई है। यह फसल तैयार होकर अप्रैल में काटी जाएगी।
मानपुर प्रखंड के वकील सिंह, अरूण कुमार, लवलेश कुमार, रूपसपुर के अजय सिंह, मनोज कुमार की खेतों में पहली बार जीरोटीलेज तकनीक से गेहूं की खेती की जा रही है। खेती से पहले किसानों को इस नई तकनीक से खेती के फायदे को लेकर प्रशिक्षण दिया गया है।
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बुआई व लागत में बचत
कराता है जीरोटीलेज तकनीक
मानपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वरीय वैज्ञानिक डॉ. राजीव सिंह ने बताया कि जीरोटीलेज से खेती एक आधुनिक तकनीक है। यह किसानों के साथ ही खेती के लिए भी बहुत फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि इसमें बुआई में समय की तो बचत होती ही है खेती की कुल लागत में काफी बचत होती है। इसमें बीज व खाद को एक साथ लगाया जाता है। गेहूं की पूरी खेत पंक्ति में नजर आता है। इससे पूरे खेत के पौधों का वानस्पतिक विकास काफी अच्छा होता है। उन्होंने कहा कि अनुकूल वातावरण में समय से गेहूं की बुआई करने पर जीरोटीलेज तकनीक में सामान्य खेती की तुलना से 15 से 25 प्रतिशत तक अधिक उपज प्राप्त होती है। इस तकनीक की खासियत यह है कि बिना समूचे खेत की जुताई किए हुए चीरा लगाकर बीज को बोआ जाता है।
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