रोहतास में चूना पत्थर, पाइराइट्स और पोटैशियम का है भंडार, नियम के कारण खनन में फंसा है पेच
रोहतास में सूबे का सबसे वृहद् चूना पत्थर भंडार है। लेकिन वन विभाग के नियम पेच के चलते खनन कार्य नहीं हो पा रहा है। इस कारण से चूना पत्थर आधारित उद्योगों को कोई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

सासाराम (रोहतास), जागरण संवाददाता। जिले के नौहट्टा व रोहतास प्रखंड में कई स्थानों पर चूना पत्थर (Lime Stone) का वृहद भंडार है। लेकिन उनका खनन नहीं हो पा रहा है। इसके पीछे वन विभाग का नियम-पेच फंस जाता है। भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण पर्षद (जीएसआइ) ने जिले में चूना-पत्थर के अलावा पायराइटस, पोटैशियम जैसे खनिज पदार्थ के अकूत भंडार होने की संभावना जताई थी। इसका पता लगाने के जीएसआइ की टीम ने रोहतास, नौहट्टा व शिवसागर प्रखंड की कैमूर पहाड़ी की तलहटी में कई स्थानों पर खोदाई कार्य भी की थी। लेकिन दो-तीन वर्षों बाद भी उस दिशा में कोई पहल नहीं हो सकी। नतीजा है कि यहां के उद्योग धंधे पर इसका बुरा असर पड़ रहा है
राजस्व की हो रही कम प्राप्ति
चूना समेत पत्थर से जुड़े अन्य उद्योग के बंद होने का असर राजस्व पर भी दिख रहा है। खनिज पदार्थों के अभी कम उपयोग के कारण कम राजस्व की प्राप्ति हो पाई है। यह दिनोंदिन चिंता का विषय बनने लगा है। कारण कि जिले में जहां पत्थर उद्योग जून 2012 से ही बंद है, वहीं तीन दशक पूर्व रोहतास उद्योग समूह में शामिल सीमेंट कारखाना बंद होने के बाद अब केसीसीएल भी बंद हो गया हैं।
झारखंड पर बढ़ी है निर्भरता
भारत डालमिया सीमेंट उद्योग शुरू है लेकिन अधिकांश खनिज पदार्थों के लिए उसे झारखंड पर निर्भर रहना पड़ता है। यदि चूना-पत्थर खदान के वन क्षेत्र से मुक्त करा खनन कार्य प्रारंभ कर दिया जाए, तो रोहतास ही नहीं सूबे के अन्य जिलों में स्थापित सीमेंट फैक्ट्रियों को कच्चा माल आसानी से उपलब्ध होने लगेगा। वन क्षेत्र में पड़ने वाले खदानों को वन विभाग से मुक्त कराने के लिए सरकार के स्तर पर प्रयास भी शुरू कर दिया गया है। मालूम हो कि चूना पत्थर का उपयोग सीमेंट के अलावा अन्य रसायनिक उद्योग, कपड़ा उद्योग तक में किया जाता है। इसी तरह यहां की जमीन में दबे अन्य खनिज भी काफी महत्वपूर्ण हैं।
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