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    साउथ बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के नए कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने किया पदभार ग्रहण

    By Sumita JaiswalEdited By:
    Updated: Tue, 27 Jul 2021 09:15 AM (IST)

    दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में नए कुलपति के रूप में सोमवार को प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने पदभार ग्रहण किया। नियुक्ति राष्ट्रपति एवं विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष रामनाथ कोविंद द्वारा की गई है। वे राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय इलाहाबाद के कुलपति थे।

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    सीयूएसबी के नए कुलपति प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह पदभार ग्रहण करते हुए, प्राे एचसीएस राठौर कार्यभार सौंपते हुए, जागरण फोटो

     टिकारी (गया), संवाद सहयोगी।  दक्षिण बिहार केन्द्रीय विश्वविद्यालय (सीयूएसबी) में नए कुलपति के रूप में सोमवार को प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने पदभार ग्रहण किया। निवर्तमान कुलपति प्रो. हरीश चंद्र सिंह राठौर ने कुलसचिव कर्नल राजीव कुमार सिंह और विश्वविद्यालय के अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में प्रो. सिंह को कार्यभार सौंपा। दोनों कुलपति के औपचारिक कार्यभार ग्रहण एवं विमुक्ति के दस्तावेज के आदान-प्रदान के पश्चात प्रो. सिंह ने सीयूएसबी के पूर्णकालिक तीसरे कुलपति के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। प्रो. सिंहकी नियुक्ति राष्ट्रपति एवं विश्वविद्यालय के कुलाध्यक्ष रामनाथ कोविंद द्वारा की गई है। इनका कार्यकाल पांच वर्षों का होगा।

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    भावुक हुए एचसी राठौर

    निवर्तमान कुलपति प्रो. राठौर ने विवि के विवेकानंद लेक्चर हाल में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम के दौरान अपना विदाई भाषण दिया। कार्यक्रम के दौरान प्रो. राठौर अपने लगभग छह साल की लंबी यात्रा और खट्टे-मीठे पलों को साझा करते हुए भावुक हो गए। उन्होंने पूरे विश्वविद्यालय परिवार के प्रति आभार व्यक्त किया।

    नवनियुक्त कुलपति का परिचय

    नवनियुक्त कुलपति प्रो.सिंह राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, इलाहाबाद के कुलपति थे। उससे पहले वह दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के भूगोल विभाग के प्रमुख थे। प्रो. सिंह, डीडीयूजीयू, गोरखपुर में दीन दयाल उपाध्याय अनुसंधान अध्यक्ष के संस्थापक निदेशक रहे हैं। प्रो. सिंह के पास शिक्षण, प्रशासन, प्रशिक्षण, अनुसंधान और विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शोध परियोजनाओं पर कार्य करने का अनुभव है। प्रो. सिंह ने भारतीय और जर्मन शहरों के शहरी ङ्क्षफ्रज अध्ययन नामक एक संयुक्त शोध परियोजना में रुहर विश्वविद्यालय, बोचुम, जर्मनी में इंस्टीट््यूट ऑफ ज्योग्राफी एंड इंस्टीट््यूट फार डेवलपमेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट पालिसी में एक शोध सहयोगी के रूप में काम किया है। उन्‍होंने ने मुख्य रूप से पर्यावरण, क्षेत्रीय विकास और मूल्य आधारित शिक्षा के क्षेत्र में योगदान दिया है। वे नेशनल एसोसिएशन ऑफ जियोग्राफर्स आफ इंडिया के उपाध्यक्ष और उत्तर भारतीय भूगोलविदों के संघ के अध्यक्ष के रूप में भी काम कर चुके हैं।