उदासीनता: दर्जा माडल स्टेशन का सुविधाएं सामान्य जैसी, बदइंतजामी का दंश झेल रहा है नवादा रेलवे स्टेशन
पूर्व-मध्य रेलवे के किऊल-गया रेलखंड पर स्थित नवादा रेलवे स्टेशन को माडल स्टेशन का दर्जा मिले वर्षों बीत गए। लेकिन उस दर्जे की सुविधाएं अब तक नहीं मिली हैं। रेलवे यात्रियों को जो उम्मीद थी वह अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। यह बदइंतजामी का दंश झेल रहा है।
जागरण संवाददाता, नवादा: पूर्व-मध्य रेलवे के किऊल-गया रेलखंड पर स्थित नवादा रेलवे स्टेशन को माडल स्टेशन का दर्जा मिले वर्षों बीत गए। लेकिन उस दर्जे की सुविधाएं अब तक मयस्सर नहीं हो सकी है। रेलवे यात्रियों को जो उम्मीद थी वह अब तक पूरी नहीं हो सकी है। अंग्रेजी शासन काल के समय का यह स्टेशन बदइंतजामी का दंश झेल रहा है। समुचित रख-रखाव के अभाव में यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल पा रही है। जिसके चलते यात्रियों में घोर निराशा है।
वर्ष 2004 में हुई थी माडल स्टेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा
नवादा रेलवे स्टेशन को माडल स्टेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा वर्ष 2004 में की गई थी। तब केजी सेक्शन पूर्व रेलवे के अधीनस्थ था। पूर्व रेलवे के तत्कालीन महाप्रबंधक आई.एस. राणा ने इस स्टेशन को माडल स्टेशन के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। योजना को मूर्त रूप देने के लिए एक करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई। इस राशि को रेलवे स्टेशन पर यात्री शेड, पार्क, गेस्ट हाउस, पेयजलापूर्ति, व शौचालय आदि जैसी व्यवस्था पर खर्च किया जाना था। माडल स्टेशन के रूप में नवादा स्टेशन को विकसित करने के अनुरूप व्यवस्था अब तक धरातल पर नहीं दिख रही।
प्लेटफार्म से लेकर टिकट खिड़की तक दिखती है गंदगी
रेलवे स्टेशन के दोनों प्लेटफार्म पर गंदगी साफ देखी जा सकती है। पेयजलापूर्ति वाले प्वाइंट पर भी इस कदर गंदगी है कि ट्रेनों की प्रतीक्षा में प्लेटफार्म पर मौजूद यात्री वहां से पानी लेने के बजाए प्यासे रहना ही ज्यादा पसंद करते हैं। गरीब तबके के लोग मजबूरी में पानी पी लेते हैं। दोनों प्लेटफार्म पर दो-दो यूरिनल हैं। जिसमें से दो यूरिनल में ताला लटका हुआ है। शेष दो यूरिनल को गंदगी के बीच उपयोग में लाया जाना यात्रियों की विवशता है। शौचालय है, लेकिन सशुल्क उपयोग में लाया जाता है। जेनरेटर है, पर दिन के वक्त नहीं चलता।
लाइन कटते ही बंद हो जाते हैं पंखे
पसीने से तर बतर होते हैं यात्री एक नंबर प्लेटफार्म पर दो यात्री शेड में कुल नौ वाल पैडेस्टल पंखे लगे हैं। जो की पूर्णतया विद्युत सप्लाई पर निर्भर हैं। बिजली नहीं रहने पर ये पंखे शोभा की वस्तु बन जाते हैं। जबकि दो नंबर प्लेटफार्म पर पंखा लगा ही नहीं हैं। यह प्लेटफार्म कमोबेश सफाईकर्मियों के कब्जे में है। गंदगी इस कदर की यहां बैठना तो दूर, कोई खड़ा होना भी पसंद नहीं करते। प्रतीक्षालय की स्थिति भी संतोषप्रद नहीं है।
क्या कहते हैं यात्री
स्टेशन पर अपने परिवार के साथ ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे यात्री सिरदला थाना क्षेत्र के अमोखरी ग्राम निवासी सुबोध कुमार स्टेशन पर सुविधाओं के अभाव पर असंतोष जाहिर करते हैं। वारिसलीगंज निवासी रजनीश कुमार स्टेशन पर बुनियादी सुविधाओं को विकसित करने की आवश्यकता पर बल देते हैं। विमल जैन ने बताया कि माडल स्टेशन का सपना अबतक सपना ही है। मोदी जी का स्वच्छता अभियान यहां टांय-टांय फिस्स है। जबकि एक वृद्ध महिला ने कहा कि सफाई नहीं रहने से यात्रियों को परेशानी होती है।
क्या कहते हैं अधिकारी
नवादा रेलवे स्टेशन को विकसित करने के प्रति विभाग गंभीर हैं। इस दिशा में प्रत्येक स्तर पर विभागीय प्रयास किए जा रहे हैं। नियमित रूप से साफ-सफाई होती है। यात्री सुविधाओं को बेहतर बनाए रखने पर पूरा ध्यान दिया जाता है।
रवि गुप्ता, उपाधीक्षक, नवादा रेलवे स्टेशन