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    शेरघाटी में LJP(R) की चहलकदमी ने बढ़ाई BJP-JDU की बेचैनी,सीट पर दावेदारी की जंग तेज

    Updated: Sun, 12 Oct 2025 05:41 PM (IST)

    शेरघाटी में लोजपा (रामविलास) की सक्रियता ने भाजपा और जदयू की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। लोजपा (आर) शेरघाटी विधानसभा सीट पर अपनी दावेदारी जता रही है, जिससे भाजपा और जदयू के स्थानीय नेता असहज हैं। दोनों पार्टियां इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए रणनीति बनाने में जुटी हैं। लोजपा (आर) की एंट्री से मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है।

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    शेरघाटी विधानसभा के एनडीए उम्मीदवारों का बढ़ाया धड़कन

    संवाद सूत्र,डोभी(गयाजी)। जिले के शेरघाटी विधानसभा पर एनडीए के सभी घटक दलों की नजर बनी हुई है। इस विधानसभा के सृजन के साथ एनडीए के घटक दल में दो बार जदयू ने चुनाव लड़ा जिसमें एक बार विजय रहा। वहीं एक बार इसके घटक दल हम सेकुलर ने अपना प्रत्याशी खड़ा किया। 

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    इस बार भाजपा के कई कद्दावर नेताओं ने इस सीट पर अपनी दावेदारी शुरू से दिखाने का प्रयास कर रहा है। भाजपा के स्थानीय नेता लगातार क्षेत्र में भ्रमण कई महीनों से कर रहे है। जदयू और हम से चुनाव हारने के बाद भाजपा ने इस बार इस सीट पर दावेदारी पेश करने के लिए दिल्ली तक रुख कर दिया। 

    लोजपा नेताओं ने उड़ाई नींद

    केंद्र के कई नेताओं के सम्पर्क में भाजपा नेता बने हुए है। वहीं रविवार को अचानक लोजपा के कुछ नेताओं की चहलकदमी से सभी घटक दलों के नेताओं की नींद उड़ा दिया है। शेरघाटी विधानसभा अनारक्षित सीट है। जहां सबसे ज्यादा यादव के बाद वैश्य समाज का वोट है। 

    विधानसभा के नेताओं का मानना है कि एनडीए या महागठबंधन के किसी भी घटक दल के नेता के लिए इस बार राह आसान नहीं दिखता। इसका प्रमुख कारण जन सुराज के प्रत्याशी को बताते है। 

    एनडीए के लिए जन सुराज ज्यादा नुकसान पहुंचाएगा। वहीं ओवैसी की पार्टी महागठबंधन को सीधे नुकसान देने के लिए अपना उम्मीदवार तय कर दिया है। इसके सम्भावित उम्मीदवार क्षेत्र में घूमकर अपनी एकता का परिचय देने के लिए मतदान करने का आग्रह कर रहे है। इस समुदाय के लोगों की जगह जगह बैठकें शुरू है। 

    लोजपा का संगठन कमजोर

    फिलहाल लोजपा का चर्चा होते ही विधानसभा के सभी संभावित उम्मीदवारों के चेहरे पर हवाइयां उड़ाने में सक्षम दिखाता है। कुछ राजनीतिकारों ने बताया कि फिलहाल इस सीट पर लोजपा का संगठन कमजोर है इसलिए यह सीट जदयू या भाजपा के लिए बेहतर होगा। 

    इन पार्टियों का संगठन पंचायत स्तर पर भी मजबूत बना हुआ है। खैर चाहे जो हो कुछ देर के लिए हर संभावित प्रत्याशी के समर्थकों के बीच इसकी चर्चा जोरदार तरीके से कई जगहों पर हो रहा है।