शेरघाटी में निर्दलीय बिगाड़ेंगे चुनावी समीकरण, एकजुट हुए तो एनडीए-महागठबंधन का खेल बिगड़ना तय!
शेरघाटी विधानसभा क्षेत्र में दो निर्दलीय उम्मीदवारों के एक होने की संभावना से चुनावी समीकरण बदल सकते हैं। 2010 में बने इस क्षेत्र में 2020 में राजद ने जीत दर्ज की थी। इस बार एनडीए और महागठबंधन दोनों ने नए चेहरे उतारे हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है। मतदाता अभी चुप हैं, और निर्दलीय उम्मीदवारों की भूमिका महत्वपूर्ण हो सकती है।

शेरघाटी में निर्दलीय बिगाड़ेंगे चुनावी समीकरण
संवाद सहयोगी, शेरघाटी (गया)। शेरघाटी विधानसभा में दो कद्दावर निर्दलीय प्रत्याशी एक हुए तो बड़ा उलटफेर कर सकते हैं। यहां का चुनाव धीरे धीरे दिलचस्प मोड़ लेते जा रहा है। राजनीतिक गलियारों से आ रही खबर के अनुसार दोनों निर्दलीय प्रत्याशी को एक करने की कोशिश की जा रही है।
नए परिसीमन के बाद वर्ष 2010 में शेरघाटी विधानसभा बना। जिसमें जदयू के उम्मीदवार जीत हासिल किए। वे पुनः 2015 के चुनाव में भी जदयू के टिकट पर ही विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। एक वर्तमान निर्दलीय प्रत्याशी उस समय हम पार्टी से चुनाव लड़कर दूसरे नंबर पर रहे थे। जीत का अंतर 4834 वोट था।
2020 में इस सीट पर राजद का कब्जा
लेकिन 2020 में इस सीट पर राजद का कब्जा हो गया। वैश्य समुदाय की महिला ने जदयू को पछाड़ कर सीट पर कब्जा जमाया। इस बार शेरघाटी विधानसभा में दोनों ही गठबंधन ने नए चेहरे को टिकट दिया है।
एनडीए गठबंधन से जदयू की जगह लोजपा रामविलास की पार्टी ने यहां से अपनी उम्मीदवारी दिया है। जबकि राजद ने केवल चेहरा बदला है। इस बार वैश्य समुदाय के ही पुरुष उम्मीदवार और पार्टी के कार्यकर्ता पर भरोसा जताया है।
मुख्य मुकाबला एनडीए प्रत्याशी और महागठबंधन के बीच
मुख्य मुकाबला एनडीए प्रत्याशी और महागठबंधन के बीच ही है। लेकिन जन सुराज के युवा प्रत्याशी को कम आंकना भी भारी पड़ सकता है। हालांकि फिलहाल विधानसभा के मतदाता इस बार पशोपेश की स्थिति में है। किसे वोट करेंगे। इस विषय पर मानो सभी ने चुप्पी साध रखी है।
एक उम्मीदवार के साथ जहां बाहरी भीतरी का सवाल उठने लगा है। वहीं दूसरे उम्मीदवारों में सभी स्थानीय हैं। दो उम्मीदवार शहरी क्षेत्र से हैं। ऐसे में 50 हजार से अधिक आबादी वाला नगर परिषद के लोग किसे पसंद करेंगे? पसंद करने का पैमाना क्या होगा? इस तरह के कई अनुतरित प्रश्न शहरवासियों के बीच उठ रहा है।
निर्दलीय उम्मीदवार बिगाड़ सकते हैं खेल
पिछले 24 घंटे में बाजार के व्यवसायियों में जहां सुरक्षा कौन दे सकता है इस बात की चर्चा होने लगी है। वहीं सहज भाव से अपने मान सम्मान के साथ किनसे बात की जा सकती है। कौन प्रत्याशी के समक्ष बिना डर भय के अपनी बात स्पष्टता के साथ रख सकते हैं। इन सारी बातों का भी आकलन होने लगा है।
उम्मीदवारों ने भावनात्मक कार्ड फेंकना शुरू किया
दूसरी ओर विधानसभा क्षेत्र के डोभी प्रखंड से भी दो दमदार निर्दलीय उम्मीदवार के आने से मामला दिलचस्प होते जा रहा है। ये दोनों चर्चित निर्दलीय उम्मीदवार किसी भी गठबंधन का खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि वर्षों से पार्टी के लिए काम करने वाले उम्मीदवारों ने भावनात्मक कार्ड फेंकना भी शुरू कर दिए हैं।
वे अपने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर यह कहना शुरू कर दिए हैं कि हमने लगातार दूसरों के लिए मेहनत किया। जब मजदूरी देने की बात आती है तो शीर्ष नेतृत्व पैसा पर टिकट बेंच देते हैं। इसलिए अब हम सब बंधुआ गिरी नहीं करेंगे।
दोनों निर्दलीय हो सकते हैं एक
सूत्रों से पहुंच रही खबर के अनुसार दो निर्दलीय उम्मीदवार अगर अपने क्षेत्र को लेकर एकजुट हुए तो शेरघाटी विधानसभा में कुछ नया दृश्य भी देखने को मिल सकता है। राजनीतिक गलियारों से दो निर्दलीय भाई भाई के तर्ज पर एक होने की खबर तैरने लगी है। लेकिन यह सब फिलहाल चुनावी चौपाल है। वास्तविकता में क्या होने वाला है यह समय के साथ देखते रहना होगा।
उल्लेखनीय है कि शेरघाटी विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 79 हजार 254 है जिसमें 1 लाख 45 हजार 913 पुरुष और 1 लाख 33 हजार 335 महिला वोटर हैं जबकि 6 मतदाता तृतीय लिंग हैं। ये सभी अलग अलग 367 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे ।

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