इको टूरिज्म की तर्ज पर विकसित हो रहा रोहतास का तुतला भवानी धाम, हैंगिंग ब्रिज का हुआ निर्माण
रोहतास के प्रसिद्ध तुतला भवानी धाम को इको टूरिज्म की तर्ज पर विकसित किया जाने लगा है। यहां हैंगिंग ब्रिज का निर्माण वन विभाग ने कराया है। नए तरीके की सीढ़ी बनाई जा रही है। कई अन्य कार्य किए जा रहे हैं।

जागरण संवाददाता, सासाराम (रोहतास)। कैमूर पहाड़ी की गुफाओं व कंदराओं में वन विभाग पर्यटन (Tourism) की संभावनाओं को तलाश रहा है। विभाग के अनुसार अभ्यारण्य (Sanctuary) घोषित इस अति पिछड़े इलाके का उन्नयन पर्यटन से ही संभव है। घोर अभाव के बीच जिंदगी गुजार रहे वनवासियों के लिए पर्यटन उद्योग किसी संजीवनी से कम साबित नहीं होगी। बहरहाल वन विभाग ने इसकी शुरुआत प्रसिद्ध तुतला भवानी धाम के विकास से की है। धाम को ईको टूरिज्म (Eco Tourism) की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में काम प्रारंभ कर दिया गया है।
हैंगिंग ब्रिज (Hanging Bridge) का हुआ निर्माण, नए तरीके से बन रही सीढ़ी
वन विभाग ने वाल्मीकि नगर टाइगर प्रोजेक्ट की तर्ज पर हैंगिंग ब्रिज का निर्माण किया है। परिसर क्षेत्र में प्लास्टिक व थर्मोकोल से बने थैले, प्लेट-ग्लास के उपयोग को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। वन पाल के अलावा पूजा कमेटी को इस संबंध में निर्देश दिया गया है। बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड, साइकिल व बाइक स्टैंड की अलग व्यवस्था की गई है। बुजुर्ग के लिए बैटरी चलित रिक्शा की व्यवस्था की गई है। तुतला नदी में कटीले व नुकीले पत्थर से पर्यटकों को चोटिल होने से बचाने के लिए नए तरीके से सीढ़ी व शेड का निर्माण किया जा रहा है।
सन 1158 में राजा प्रताप धवल देव ने की थी स्थापना
मां तुतला भवानी की प्रतिमा की स्थापना खरवार राजा प्रताप धवल देव ने 1158 ईस्वी में कराई थी। एक शिलालेख में लिखवाया है कि इस स्थान पर पहले से स्थापित प्राचीन प्रतिमा टूट चुकी है, अतः मैं नई प्रतिमा स्थापित करा रहा हूं। मां महिषासुर मर्दिनी हैं। शिलालेख में इन्हें मां जगद्धात्री दुर्गा कहा गया है।
पुराणों में वर्णित हैं मां शोणाक्षी देवी
पुराणों में जो 51 शक्ति पीठों का वर्णन है, उनमें शोण तटस्थता शोणाक्षी देवी शक्ति पीठ का वर्णन है। उसका जो भूगोल दिया गया है उसके अनुसार बिहार के रोहतास जिले में यही सोन नद के किनारे स्थित मां शोणाक्षी हैं। पहाड़ी में स्थित मां शोणाक्षी जगद्धात्री दुर्गा के ऊपर से सामने प्रपात गिरता है। घाटी के सामने कभी बह रहा सोन आज कुछ दूर जा चुका है। प्रताप धवल देव के बाद उथल-पुथल के दौर में इस स्थान के देखरेख में कमी हुई और लोग इस प्राचीन स्थान को ही भूल गए। इस प्रकार रोहतास क्षेत्र में पुराणों में वर्णित यह एकमात्र शक्ति पीठ है।
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