Aurangabad Health News: गर्भवती महिलाएं जरूर लें टमाटर और संतरे का जूस, एनीमिया के खतरे से बचाता है यह
गर्भावस्था में एनीमिया या खून की कमी एक गंभीर समस्या है। इसका उपचार नहीं कराने पर जच्चा-बच्चा दोनों पर खतरा उत्पन्न हो जाता है। ऐसे में संतुलित आहार बहुत जरूरी है। समय-समय पर स्वास्थ्य जांच भी कराना चाहिए।

जासं, औरंगाबाद। सुरक्षित प्रसव (Safe Delivery) व स्वस्थ्य शिशु (Healthy Baby) का जन्म कई कारकों पर निर्भर करता है। इनमें से एक महत्वपूर्ण कारक गर्भवती के शरीर में पर्याप्त खून होना है। खून की कमी गर्भवती के पूरे जीवनकाल को प्रभावित करता है। एनीमिया (Anemia) यानि खून में लौह तत्व की कमी शिशु के जन्म को प्रभावित करने के साथ प्रसव संबंधी जटिलाताओं व जोखिम को बढ़ा देता है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं में रक्त की कमी का प्रबंधन उनकी शारीरिक व मानसिक सुरक्षा के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। गर्भवती महिलाओं को खून की जरूरत अधिक होती है। खून की कमी होने से भ्रूण तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंच पाता, जिसका असर प्रसव के समय देखा जाता है।
सामुदायिक सहभागिता से एनीमिया दर की बदलेगी तस्वीर
जिला में एनीमिया पीड़ित महिलाओं की संख्या में लगभग 2 प्रतिशत की आई है, लेकिन और कमी लाने की दिशा में सामुदायिक सहभागिता को अधिकाधिक बढ़ाने की जरूरत है। हाल में जारी राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-5 (2019-2020) से इसकी पुष्टि होती है। एनएफएचएस-5 के मुताबिक जिला में 15 से 49 वर्ष आयु समूह की 53.1 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से प्रभावित हैं, जबकि पूर्व में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे-4 के मुताबिक 55 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित थीं। एनीमिया को दूर करने में गर्भवती के खानपान का समुचित ध्यान रखना व नियमित प्रसव पूर्व जांच आवश्यक है। स्वास्थ्य केंद्रों से एनीमिया के लिए आयरन फॉलिक दवाई भी निश्शुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं, जिसका निर्धारित समयांतराल पर सेवन जरूरी है। गर्भवती महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर 11 ग्राम/डेसीलीटर रक्त से कम होने पर उन्हें एनीमिया प्रभावित माना जाता है।
गर्भवती का प्रसव पूर्व जांच कराना आवश्यक
एनीमिया से बचाव के लिए नियमित जांच आवश्यक है। एनीमिया प्रबंधन के लिए आरोग्य दिवस पर महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच कर आवश्यक दवाईयां दी जाती है। इसके साथ ही स्वास्थ्य केंद्रों पर आशा व चिकित्सक प्रसव पूर्व जांच प्रक्रिया में शामिल होकर उचित प्रबंधन करते हैं।स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ मणी कुमारी ने बताया रक्त में हीमोग्लोबिन का स्तर सही रखने के लिए आयरन की जरूरत होती है।
दूध, अंडा, हरी सब्जियों का करें सेवन
डॉ. मणी बताती हैं कि दूध, अंडा, मांस, मछली, हरी सब्जी जैसे पालक व मौसमी फलों सहित दलहनी व चुंकदर आदि में प्राकृतिक तौर पर आयरन मौजूद होते हैं। इनसे आयरन की मात्रा को संतुलित रखा जा सकता है। गर्भवती महिलाएं अपने आहार में टमाटर व संतरे का जूस शामिल करें। इससे शरीर में आयरन का अवशोषण सही तरीके से होता है। गर्भवती महिलाओं को तले भुने व फास्ट फूड से परहेज करना चाहिए। चिकित्सक के परामर्श के साथ आयरन, फॉलिक एसिड व विटामिन बी 12 गोली का सेवन करें। गर्भवती महिलाएं यदि थकान, हंफनी व घबराहट महसूस करती हैं तो चिकित्सीय परामर्श आवश्यक है।
गर्भवती करें एनीमिया के लक्षणों की पहचान
• अधिक थकान होना
• हाथ पैर ठंडा रहना
• हांफने की समस्या
• सांस में परेशानी
• दिल की धड़कन बढ़ना
• होंठों का सूखापन
• नाखूनों में पीलापन
गर्भवती में एनीमिया से होने वाले खतरे हैं बड़े
जिला के सभी प्राथमिक व सामुदायिक अस्पतालों में गर्भवती की निश्शुल्क खून जांच करा कर एनीमिया का पता लगाने की व्यवस्था है। एनीमिया की स्थिति में आवश्यक दवाई दी जाती है। एनीमिया के कारण गर्भवती को प्रसव के दौरान रक्तस्राव का खतरा होता है। इससे जच्चे बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए घर में भी गर्भवती महिलाओं के खानपान व नियमित प्रसव पूर्व जांच को प्राथमिकता देना आवश्यक है। एनीमिया महिलाओं में चिंता, तनाव व अवसाद का खतरे को भी बढ़ा देता है।
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