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    पिंडदानियों को गयाजी पहुंचने में नहीं होगी समस्या, NH और स्टेट हाईवे से पहुंच में होगा पार्किंग स्थल

    गया में पितृपक्ष मेला 6 सितंबर से शुरू हो रहा है। देश के अलग-अलग प्रदेशों से अपने-अपने पितरों को मोक्ष और मुक्ति दिलाने के लिए पितृपक्ष मेला में पुत्र आते हैं। निजी वाहनों को गयाजी से बाहर पार्किंग की व्यापक व्यवस्था की गई है। ताकि गयाजी शहर में जाम की समस्या नहीं रहे।

    By sanjay kumar Edited By: Piyush Pandey Updated: Thu, 28 Aug 2025 05:31 PM (IST)
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    हाईटेक सुविधाओं से संपन्न होगा पितृपक्ष मेला। (जागरण)

    नीरज कुमार, गयाजी। देश के अलग-अलग प्रदेशों से अपने-अपने पितरों को मोक्ष और मुक्ति दिलाने के लिए पितृपक्ष मेला में पुत्र आते हैं। पुत्र अपने पूर्वजों को मुक्ति की कामना को लेकर हवाई जहाज, रेल मार्ग और सड़क मार्ग से गयाजी आते हैं।

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    इसमें सबसे ज्यादा पिंडदानी अपने निजी और सुरक्षित वाहनों से गयाजी पहुंचते हैं। निजी वाहनों को गयाजी से बाहर पार्किंग की व्यापक व्यवस्था की गई है। ताकि गयाजी शहर में जाम की समस्या नहीं रहे। सभी पार्किंग स्थल को जिला प्रशासन सुरक्षित और पहुंच पथ पर बनाया है।

    सबसे बड़ी बात है कि पितृपक्ष मेला में बनाए गए पार्किंग स्थल तक पहुंच राष्ट्रीय राजमार्ग और स्टेट हाइवे पहुंच में है। इससे पिंडदानियों को लेकर गयाजी आ रहे वाहन आसानी से पार्किंग स्थल तक पहुंच सके।

    पार्किंग स्थल पर आने के बाद पिंडदानी और वाहनों पर रहने वाले चालक व खलासी के लिए बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की प्रक्रिया अंतिम चरण में है।

    उस स्थल पर पर्याप्त संख्या में शौचालय, बिजली की व्यवस्था, वाहन और मोबाइल चार्ज करने के लिए चार्जजिंग की सुविधा, सुरक्षा के लिए पुलिस शिविर, सीसीटीवी कैमरा, पीने के लिए गंगाजल का प्वाइंट की व्यवस्था के साथ-साथ सफाई की व्यवस्था की जा रही है।

    प्रत्येक पार्किंग स्थल पर नोडल पदाधिकारी और कर्मियों को तैनाती की गई है, जो पितृपक्ष मेला के शुभारंभ यानि छह सितंबर से तैनात होंगे। जो 21 सितंबर तक रहेंगे। इतना ही जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के साथ-साथ कंट्रोल रूम का नंबर भी डिस्प्ले किया जा रहा है।

    यहां होगी वाहनों की पार्किंग

    1.सिकड़िया मोड़ बस स्टैंड- बड़े वाहन

    2. गया कॉलेज का खेल परिसर- बड़े वाहन

    3. कॉलरा अस्पताल का मैदान - छोटे वाहन

    4. पुराना संवास सदन- छोटे वाहन

    5. हरिदास सेमिनरी- छोटे वाहन

    6. बीआरपीएनएल कार्यालय का मैदान - छोटे वाहन

    7. प्रेतशिला की पहाड़तली किसान कॉलेज का मैदान- बड़े एवं छोटे वाहन

    8. केंदूई सूर्य मंदिर परिसर- बड़े वाहन

    9. आईटीआई, पॉलिटेक्निक कॉलेज का मैदान- बड़े एवं छोटे वाहन

    10. रेलवे स्टेशन गया के पास- छोटे वाहन

    11. पंचायती अखाड़ा रेल अंडर पास से सटे पूरब- छोटे वाहन

    12. भुसंडा मैदान- बड़े एवं छोटे वाहन

    13. सीताकुंड के पास सड़क किनारे पंचदेव धाम- छोटे वाहन

    14. लेप्रोसी अस्पताल रामशिला मोड़ृ के पास: छोटे वाहन

    16. धर्मारण्य वेदी के पास मैदान में- छोटे एवं बड़े वाहन।

    पार्किंग स्थल स्थल ऐसे पहुंचे

    बिहार के गयाजी को राष्ट्रीय राजमार्ग 19, 20 और 22 को जोड़ता है। इन तीनों राष्ट्रीय राजमार्ग से पिंडदानी गयाजी आ सकते हैं। बताया गया कि एनएच-19 जो देश के कन्याकुमारी से शुरु होती है, जो हरियाणा, दिल्ली, यूपी, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल को जोड़ती है।

    इसी तरह पटना, हाजीपुर सहित उतर बिहार से आने वो पिंडदानी राष्ट्रीय राजमार्ग -22 का उपयोग करेंगे। इसी तरह राष्ट्रीय राजमार्ग-20 से गयाजी आएंगे। इन मार्गो से आने वाले पिंडदानियों का वाहन शहर के बाहर केंदूई, सिकड़िया मोड़, भुसंडा, गाैतम बुद्ध कुष्ठ आश्रम, गया कॉलेज खेल परिसर, प्रेतशिला के पास किसान कॉलेज के पास पार्किंग करेंगे।

    निजी और सुरक्षित वाहन से जाएंगे विष्णुपद मंदिर

    किसी भी पार्किंग स्थल से विष्णुपद मंदिर की दूरी करीब पांच किलोमीटर है। जहां से आसानी से कोई भी पिंडदानी सशुल्क देकर ई-रिक्शा, ऑटो, सुरक्षित छोटी वाहनों से विष्णुपद मंदिर जाएंगे। जहां सभी वाहनों को गयाजी के चांदचौरा मोड़ पर छोड़ना होगा।

    चांदचौरा से विष्णुपद मंदिर नो वाहन जोन बनाया गया है, फिर भी जिला प्रशासन ने दर्जनों की संख्या में निशुल्क ई-रिक्शा की व्यवस्था की है, जिस पर शारीरिक रूप से परेशान लोग यात्रा कर सकते हैं।

    शेष पिंडदानियों को पैदल की एक किलोमीटर मीटर पैदल चलकर विष्णुपद मंदिर पहुंचकर अपने पितरों का कर्मकांड कर मोक्ष दिलाएंगे।

    सभी सुरक्षित वाहनों के लिए पार्किंग स्थल बनाया गया है, जहां बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही है। जिला प्रशासन पिंडदानियों को बेहतर व्यवस्था के लिए निरंतर प्रयासरत है। - किसलय श्रीवास्तव एसडीओ, सदर गयाजी।