Pitru Paksha 2025: इस बार भी पैदल होगी प्रेतशिला पहाड़ी की यात्रा, पितृपक्ष से पहले नहीं हो पाया रोपवे का निर्माण
गयाजी में पितृपक्ष मेले के दौरान प्रेतशिला पहाड़ी पर पिंडदान के लिए पिंडदानियों को रोपवे का इंतजार है। 676 सीढ़ियाँ चढ़ने की कठिनाई के कारण बुजुर्गों को परेशानी होती है। रोपवे निर्माण में देरी से उन्हें खटोले का सहारा लेना पड़ता है जिसके लिए 1500 से 2000 रुपये तक किराया देना होता है।

संजय कुमार, गयाजी। पितृपक्ष मेले के दौरान हर वर्ष लाखों पिंडदानी अपने पितरों के मोक्ष के लिए गयाजी पहुंचते है। इस क्रम में प्रेतशिला पहाड़ी का विशेष महत्व है। जहां पिंडदान करने के लिए देश-विदेश से पिंडदानी आते है। लेकिन पहाड़ी जाने के लिए 676 सीढ़ियों को लांघना पड़ता है।
कर्मकांड को लेकर आने वाले अधिकांश पिंडदानियों की उम्र 60 वर्ष से अधिक होती है। ऐसे में पिंडदानियों को पहाड़ी की चोटी तक पहुंचने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। परेशानी से बचने के लिए पिंडदानी खटोले का सहारा लेते है। पहाड़ी की चोटी तक जाने के लिए बिहार राज्य पुल निगम द्वारा रोपवे का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन लंबे समय से निर्माणाधीन रोपवे पितृपक्ष में भी चालू नहीं हो सका।
पिंडदानियों की सुविधा को लेकर रोपवे का निर्माण करीब ढाई वर्षो से चल रहा है। निर्माण एजेंसी को हर बार काम पूरा करने की समय सीमा दी गई थी। पिछले वर्ष पितृपक्ष में रोपवे चालू करने का समय सीमा था। लेकिन एजेंसी की लापरवाही के कारण रोपवे का इस बार भी पितृपक्ष में चालू नहीं होगा।
परिणाम स्वरूप पिंडदानियों को पहाड़ी की चढ़ाई करने के लिए पुराने साधनों का सहारा लेना पड़ेगा। खासतौर पर बुजुर्ग और दिव्यांग पिंडदानी खटोले पर बैठक ही पहाड़ी के शीर्ष तक पहुंच पाते है।
खटोले से जाने के लिए देना पड़ेगा 15 सौ से दो हजार तक का किराया
पहाड़ी की चोटी पर स्थित पिंड वेदी तक जाने के लिए पिंडदानियों को 15 सौ से लेकर दो हजार रुपये तक देना पड़ सकता है। पिंडदानी के वजन के अनुसार पैसे का भुगतान करना पड़ता है। खटोले चलाने का काम आसपास के गांव के लोगों ही होते है।
लोगों का कहना कि रोपवे चालू होने जाने से यह परेशानी खत्म हो सकती थी और पिंडदानियों को सुविधा भी मिलती। वहीं बिहार राज्य पुल निगम के अधिकारी का कहना है कि रोपवे निर्माण कार्य अंतिम चरण में है। आठ माह में रोपवे पिंडदानियों के लिए चालू कर दिया जाएगा। इससे पहाड़ी की चोटी पर पिंडदानी आसानी पहुंच सके।
ब्रह्म कुंड सरोवर का जल पूरी तरह स्वच्छ
प्रेतशिला पहाड़ी के तराई में स्थित ब्रह्म कुंड सरोवर है। जहां पिंडदानी सरोवर के पवित्र जल से तर्पण करते है। त्रिपाक्षिक श्राद्ध के तीसरे दिन प्रेतिशला में पिंडदान का विधान है। ऐसे में काफी संख्या में पिंडदानी अपने पितरों को मोक्ष की कामना को लेकर ब्रह्म कुंड सरोवर के जल से तर्पण और पिंडदान करते है। वहीं एक पखवारे तक चलने वाले पितृपक्ष में प्रत्येक दिन काफी संख्या में पिंडदानी कर्मकांड करते है। वहीं पिंडदान के पंडाल का भी निर्माण किया गया है।
पिंडदानियों को चलना पड़ेगा डेढ़ किलोमीटर पैदल
पिंडदानियों को कर्मकांड करने में किसी तरह के परेशानी का सामना नहीं करना इसके लिए डोभी-पटना राष्ट्रीय राज्य मार्ग पर वाहन पड़ाव बनाया गया है। प्रेतशिला वेदी पर कर्मकांड को जाने वाले पिंडदानियों के वाहनों के ठहराव को लेकर पड़ाव का निर्माण किया गया है। जहां पिंडदानी अपने वाहन खड़ा करेंगे।
इससे प्रेतशिला वेदी के पास सड़क जाम का समस्या नहीं बनेगी। राष्ट्रीय राज्य मार्ग से पिंडदानियों को डेढ़ किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा। इससे पिंडदानियों को काफी परेशानी है। हालांकि प्रेतशिला में एक बड़ा खाली मैदान है। जहां प्रशासन ने वाहन पड़ाव नहीं बनाकर एनएच बना दिया है।
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