Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    लालमी की खेती से कई किसानों के परिवार खुशहाल

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 21 Apr 2018 08:26 PM (IST)

    शादीपुर पंचायत के सोंधी गांव में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर खरबूजा की खेती की जाती है।

    लालमी की खेती से कई किसानों के परिवार खुशहाल

    गया। शादीपुर पंचायत के सोंधी गांव में किसानों द्वारा बड़े पैमाने पर खरबूजा की खेती की जाती है। खरबूजा जिसे आम बोलचाल की भाषा में लालमी भी कहते हैं। इसके उत्पादन के लिए गर्मी का मौसम अनुकूल होता है। इस वर्ष 70 एकड़ भूमि में इसकी खेती किसानों ने की है। करीब एक सौ किसानों के इस सत्तर एकड़ भूमि पर खरबूजा तैयार हो चुका है। किसानों को उम्मीद है कि एक सप्ताह के अंदर खरबूजा तैयार हो जाएगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    --

    खुशहाल हैं किसान इस फल को बेचने के बाद होने वाली आमदनी से किसान जहां खुशहाल हैं। वहीं अपने बेटे बेटियों को पढ़ा लिखा रहे हैं। कई किसानों के बेटे सरकारी सेवा में उच्च पदों पर कार्य कर रहे हैं। कई किसानों के बेटे शिक्षक, पुलिस, रेलकर्मी, बैंक में पीओ की सेवा दे रहे हैं।

    --

    बेहतर तरीके से की जाती है खेती धान की फसल काटने के बाद खेतों की पांच बार जुताई की जाती है। ताकि खेत की मिट्टी हल्की हो जाए। किसान बताते हैं कि इसके लिए पांच बार खेतों की जुताई आवश्यक है। इसके बाद चौकी से खेत को समतल बना दिया जाता है। इसके बाद एक समान दूरी पर क्यारी बनाई जाती है। जिसमें समान दूरी पर खरबूजा के बीज बोए जाते हैं। सप्ताह में दो बार सिंचाई जरूरी है।

    --

    चार से पांच महीने में फल हो जाता है तैयार जनवरी माह में बीज की रोपाई का बेहतर समय माना जाता है। इसलिए यहां के किसान समय से धान की कटाई कर खेतों की जुताई कर लेते हैं। जनवरी में बोए गए बीज अप्रैल में फल देने लगता है। अप्रैल के अंतिम व मई महीने के पहले सप्ताह में खरबूज पूरी तरह तैयार हो जाता है। इसके बाद बाजार में बेचने के लिए किसान थोड़े थोड़े दिनों के अंतराल पर तोड़ने लगते हैं।

    ---- लागत से पांच गुणा लाभ लालमी की खेती कर रहे इस गांव के किसान श्यामसुन्दर प्रसाद वर्मा, मनोज कुमार, उमेश सिंह, रविन्द्र सिंह, अरुण मेहता, सीताराम प्रसाद, रामदीन पासवान आदि कहते हैं कि एक एकड़ भूमि में लालमी की खेती करने में दस हजार रुपये की लागत आती है। मौसम साथ दिया तो इससे पचास हजार रुपये तक की आमदनी हो जाती है।

    --

    खेतों तक आ जाते हैं व्यवसायी फलों के व्यापारी यहां की खेतों तक खरबूजा खरीदने के लिए पहुंच जाते हैं। खेतों पर आने वाले व्यवसायी यही से खरीद कर वाहनों से ले जाते हैं। कुछ किसान इसे बेचने के लिए शहर के सबसे बढ़े फल एवं सब्जी की मंडी केदारनाथ मार्केट भी ले जाते हैं।

    --

    फायदे के साथ कायदे की नौकरी यहां के किसान अपनी मेहनत की बदौलत जहां घर की आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाए हुए हैं। वहीं अपने बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाकर नौकरियों में भेज रहे हैं। गांव के लोग बताते हैं कि इस गांव में दस किसानों बेटे रेलवे में, 20 किसान के बेटे पुलिस महकमे में, 10 किसानों के बेटे शिक्षक तथा पांच बैंक में पीओ के पद पर नौकरी कर रहे हैं।