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    सबलपुर किले का लौटा पुराना शाही वैभव

    By JagranEdited By:
    Updated: Fri, 06 May 2022 11:38 PM (IST)

    गया। बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित बाराचट्टी प्रखंड के सबलपुर जंगल के बीच में 1909 ई. में टिकारी महाराज कैप्टन गोपाल शरण ने विदेशी पत्नी एलसी कैरोलीन ...और पढ़ें

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    सबलपुर किले का लौटा पुराना शाही वैभव

    गया। बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित बाराचट्टी प्रखंड के सबलपुर जंगल के बीच में 1909 ई. में टिकारी महाराज कैप्टन गोपाल शरण ने विदेशी पत्नी एलसी कैरोलीन थमसन उर्फ सीता देवी के लिए एक महल बनवाया था। इसी को लोग शिकारी किले के नाम से जानते हैं। रजवाड़ों की समाप्ति के बाद किले का अस्तित्व भी खत्म होने लगा था। अब महाराज के पौत्र कुमार आशीष वीर सिंह ने इस किला का जीर्णोद्धार कर आकर्षक ढंग से सजाया है।

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    किले का निर्माण महाराज ने विदेशी तर्ज पर कराया था। किले में चार बड़े कमरे और दो हाल हैं। सर्दी के मौसम में जंगल की लकड़ी काटकर उसे भांती में जलाया जाता था, धुआं ऊपर निकल जाता था। इसी से कमरे और हाल गर्म रहते थे। महाराज के पौत्र आशीष भांती को आज भी बरकरार रखे हुए हैं। जब वह यहां स्वजन के साथ आकर रुकते हैं, तब भांती का उपयोग करते हैं। महल से रानी कुआं तक जाने के लिए सुरंग बना था, जहां से स्नान कर महारानी सीधे महल में लौट जाती थीं। यहां समय-समय पर महाराज शिकार करने आते थे और यह शिकारी किला के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

    पांच वर्ष में हुआ जीर्णोद्धार

    महारानी एलसी उर्फ सीता देवी के लिए सबलपुर में बने शिकारी किले के हर एक ईंट को आशीष संजो कर रखे हैं। वह पूर्वजों की विरासत को यादगार बना कर रखना चाहते हैं। दिल्ली, आगरा व मुम्बई के कारीगरों ने पांच वर्ष में किले के पुराने ढांचे को रंग रोगन कर सजाया संवारा है। अतिथि गृह के छह कमरे, महल के चार कमरे और दोनों हाल में हर सुविधाएं मुहैया कराई गई हैं।

    क्या-क्या है सबलपुर किले में

    -महारानी एलसी की कुर्सी आज भी है, जिस पर बैठ वह श्रृंगार करतीं थीं।

    -मनोरंजन के लिए डिस्को, रानी कुआं तक सुरंग से जाने का रास्ता आज भी जीवंत है।

    - जिम रूम, बीएमडब्ल्यू कार तथा दो पहिया वाहन।

    - स्विमिंग पूल, मोहाने नदी तक जाने का पक्का रास्ता और नदी तट का आनंद लेने के लिए बना चबूतरा।

    - राष्ट्रीय राज मार्ग संख्या दो जीटी रोड से सटे सबलपुर टिकारी स्टेट कोठी से महल तक रोशनी के साथ पक्की सड़क।

    - सबलपुर या भलुआ के लोगों के पूजा के लिए शंकर, गणेश व हनुमान जी के मंदिर का निर्माण कराया गया है।

    -अस्तबल, हथसार, अत्याधुनिक रसोई, जनरेटर रूम और बड़ा मेस।

    - अतिथिगृह के ऊपर दो बडे़ हाल। पार्टी और मीटिग के लिए उपयोगी।