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    No Tobacco Day: कैंसर और टीबी के जोखिम को बढ़ाता है तंबाकू, एक सिगरेट से कम होती है 14 मिनट जिंदगी

    By Rahul KumarEdited By:
    Updated: Tue, 31 May 2022 10:25 AM (IST)

    World No-Tobacco Day तंबाकू सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है। तंबाकू के सेवन से कैंसर और टीबी जैसी बीमारियों का जोखिम ज्यादा रहता है। शोध के मुताबिक एक सिगरेट से 14 मिनट की जिंदगी कम कर देती है।

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    तंबाकू का सेवन स्वास्थ्य के लिए काफी हानिकारक है।

    जागरण संवाददाता, गया। No Tabacco Day: तम्बाकू सेवन के दुष्परिणामों के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रत्येक वर्ष 31 मई को विश्व तम्बाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। इसे लेकर जिले के सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों में तंबाकू के इस्तेमाल नहीं करने को लेकर शपथ ग्रहण किया जाएगा। साथ ही स्वास्थ्य विभाग द्वारा आमजन को तंबाकू के इस्तेमाल नहीं किया जाने व इससे होने वाले दुष्प्रभाव के प्रति जागरूक किया जाएगा। शोध के अनुसार एक सिगरेट के सेवन से 14 मिनट की जिंदगी कम हो जाती है।

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    गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. फिरोज अहमद ने बताया सभी प्रखंडों के स्वास्थ्य केंद्रों के स्वास्थकर्मियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया लोगों को इस बात की जानकारी दी जायेगी कि तंबाकू छोडऩे के कई फायदे है। इनमें हृदय की धड़कन और रक्तचाप घटकर सामान्य हो जाता है। रक्त में आक्सीजन का स्तर बेहतर होता है। रक्त संचार और फेफड़े बेहतर तरीके से काम करते है। खांसी, थकान और सांस टूटने की शिकायत कम होती है। दिल का दौरा पडऩे का खतरा कम होता है। मुंह, गला और भोजन नली और पेशाब की थैली के कैंसर का जोखिम कम होता है।

    जिले में 52 प्रतिशत पुरुष करते हैं तंबाकू का सेवन

    नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-फाइप की रिपोर्ट के अनुसार जिले में 15 साल या इससे अधिक उम्र के 52 प्रतिशत पुरुष कसी न किसी प्रकार के तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, 15 साल या इससे अधिक उम्र की चार  प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का इस्तेमाल करती है। तंबाकू सेवन में अमूमन गुटखा, पान मसाला, सिगरेट, बीड़ी, पान, खैनी आदि शामिल हैं। इनका सेवन मुख के कैंसर के साथ टीबी रोग के जोखिम को बढ़ा देता है।  

    कैंसर और टीबी के जोखिम को बढ़ाता है तंबाकू सेवन

    तंबाकू सेवन कैंसर और फेफड़ों से जुड़ी बीमारियों का कारण है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से फेफड़े एवं सांस की नली के कैंसर होने की संभावना ज्यादा होती है। दूसरी प्रकार के तंबाकू उत्पाद जैसे खैनी, पान मसाला, गुटखा आदि से मुख के कैंसर होता है। धूम्रपान कैंसर के अलावा टीबी होने के खतरे को बढ़ा देता है। धूम्रपान टीबी की रोकथाम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। गुटखा व पान मसाला खाने वाले लोग पूरी तरह अपना मुंह नहीं खोल पाते हैं। मुंह के अंदर छालों व फफोले के कारण उन्हें भोजन में तीखापन अधिक लगता और वे सही प्रकार से खाना भी नहीं खा पाते हैं। ऐसी परिस्थिति में कैंसर होने की संभावना अधिक होती है। टीबी से पीडि़त लोगों के लिए तंबाकू सेवन और भी अधिक खतरनाक है। तंबाकू का इस्तेमाल हृदय रोग, कैंसर, फेफड़ों की पुरानी बीमारी और मधुमेह को जन्म देता है। तंबाकू का उपयोग संक्रामक रोगों जैसे टीबी और श्वसन संबंधी बीमारियों के लिए भी जोखिम भरा है। धू्मपान के कारण टीबी रोग पैदा करने वाले माइकोबैक्टीरियम से लडऩे की रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर बनाता है। धूमपान करने वालों में टीबी की व्यापकता धूमपान नहीं करने वालों की तुलना में तीन गुना अधिक होती है। इसके अलावा सिगरेट, पान मसाला आदि भी प्लमोनरी संक्रमण के जोखिम को बढ़ाते है