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    Nitish Kumar के दोस्त का इस बार क्या होगा? 2014 और 2019 में नहीं गली थी दाल, अब बेटे पर लगा सकते हैं दांव

    Updated: Wed, 06 Mar 2024 07:52 PM (IST)

    नीतीश कुमार के दोस्त जीतन राम मांझी का इस बार क्या होगा? यह सवाल कई लोगों के मन में है। सियासी गलियारों में भी चर्चा है कि क्या मांझी फिर से गया सीट पर किस्मत आजमाएंगे। हालांकि वो चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। माना यह भी जा रहा है कि मांझी गया सीट से अपने बेटे संतोष सुमन को मैदान में उतार सकते हैं।

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    नीतीश कुमार के दोस्त का इस बार क्या होगा? 2014 और 2019 में नहीं गली थी दाल

    नीरज कुमार, गया। गया संसदीय सीट पर अलग-अलग पाला बदलकर दो बार 'हम' नेता जीतनराम मांझी चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। तीसरी बार वे स्वास्थ्य का कारण बताकर चुनाव लड़ने के लिए कई बार मना कर चुके हैं। इस कारण से इस बार जीतनराम मांझी अपने पुत्र संतोष कुमार मांझी को गया संसदीय सीट पर उतारने की तैयारी में हैं।

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    इसे लेकर गया संसदीय क्षेत्र में जहां भी सार्वजनिक कार्यक्रम में वह जाते हैं। वे अपने पुत्र के लिए आशीर्वाद मांग रहे हैं। फिलहाल उनके पुत्र संतोष कुमार सुमन ने विधान परिषद के लिए नामांकन भरा है। वर्ष 2024 में एक बार फिर जीतनराम मांझी एनडीए में हैं। गया संसदीय सीट पर एनडीए के कौन उम्मीदवार होंगे। यह अभी स्पष्ट नहीं है।

    चूंकि गया संसदीय पर एनडीए के प्रमुख सहयोगी दल जदयू के सांसद विजय मांझी हैं। गया सीट पर टिकट को लेकर एनडीए के सभी राजनीति दल अपने-अपने स्तर से दावा कर रहे हैं।

    वर्ष 2014 में तीसरे नंबर पर रहे थे जीतनराम मांझी

    गया संसदीय सीट पर वर्ष 2014 में भाजपा के हरि मांझी ने जीत दर्ज की थी। उस वक्त भाजपा एवं लोजपा का गठबंधन था। उस समय हरि मांझी को तीन लाख 26 हजार 230 वोट मिले थे यानी 40.30 प्रतिशत मत मिला था। दूसरे नंबर पर राजद, कांग्रेस, वामपंथी गठबंधन के उम्मीदवार रामजी मांझी थे। रामजी मांझी वर्ष 2024 में भाजपा में हैं। इन्हें वर्ष 2014 में 2 लाख 10 हजार 726 मत मिले थे। इनका वोट प्रतिशत 26.03 रहा था। तीसरे नंबर पर जदयू और हम का गठबंधन था।

    इस गठबंधन के उम्मीदवार हम पार्टी के सुप्रीमो जीतन राम मांझी रहे थे। वे एक लाख 31 हजार 828 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे। इन्हें मात्र 16.28 प्रतिशत हीं वोट मिला था। इनके अलावा झामूमो के उम्मीदवार अशोक कुमार को 36 हजार 863 एवं आइएनडी के उम्मीदवार डा.देव कुमार चौधरी को 19 हजार 651 मत मिले थे।

    वर्ष 2019 में गठबंधन का समीकरण बदला, फिर भी नहीं मिली जीत

    गया संसदीय सीट पर 2019 में गठबंधन का समीकरण बदला था। समीकरण बदलने के बाद भी जीतनराम मांझी को जीत नहीं मिल पायी थी। जानकार बताते हैं कि गया संसदीय पर एनडीए गठबंधन के भाजपा ने अपने सहयोगी जदयू के लिए सीट छोड़ी थी। पहली बार जदयू के टिकट पर विजय मांझी को उम्मीदवार बनाया। उस वक्त जदूय, भाजपा और लोजपा का गठबंधन रहा। इस कारण से वर्तमान सांसद विजय मांझी को 4 लाख 67 हजार सात वोट मिले थे यानी 48.79 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए।

    महागठबंधन में हम, कांग्रेस, राजद के उम्मीदवार जीतनराम मांझी रहे थे। तीन दल मिलाकर जीतनराम मांझी के लिए तीन लाख 14 हजार 581 वोट ही बटोर पाए थे। यानी उन्हें 32.86 प्रतिशत मिले थे। इस कारण से उन्हें दूसरी बार हार का सामना करना पड़ा था। तीसरी वर्ष 2024 में एक बार फिर से जीतनराम मांझी या उनके पुत्र चुनाव लड़ने के लिए प्रयासरत हैं। वर्ष 2019 में ही 30 हजार नोटा, जेडीआर के विजय कुमार चौधरी को 23 हजार 462 एवं एपीआइ के शिवशंकर को 20 हजार 464 मत मिले थे।

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