नीलगाय के झुंड ने नष्ट की केला और धान की फसल, सरकारी मदद की गुहार लगा रहे किसान
किसानों की केला और धान की फसल नीलगायों के झुंड ने नष्ट कर दी है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है और वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं। किसानों ने मुआवजे की मांग की है ताकि उन्हें इस नुकसान से कुछ राहत मिल सके। उन्होंने सरकार से नीलगायों की समस्या का स्थायी समाधान निकालने का भी आग्रह किया है।

नीलगायों का आतंक
संवाद सहयोगी, शेरघाटी (गया)। प्रखंड क्षेत्र के चिलीम व बेला पंचायत के किसान इन दिनों नीलगायों के बढ़ते आतंक से बेहद परेशान हैं। तैयार खड़ी फसल हो या बढ़ती हुई लहलहाती खेती—नीलगायों के झुंड उसे कुछ ही मिनटों में तहस-नहस कर दे रहे हैं।
पथलकट्टी गांव के जागरूक किसान श्रीकांत यादव बताते हैं कि पहले नीलगायों का झुंड केवल रात में आता था, लेकिन अब दिन–दोपहर किसी भी समय खेतों में धावा बोल देता है। अकेले कोई किसान इन्हें भगा भी नहीं सकता, क्योंकि ये झुंड में दौड़कर हमला करने लगते हैं। केवल आग से ही कुछ डरते हैं।
10–20 किसान लाठी-डंडे लेकर तैनात
किसान अपनी धान व केला फसल को बचाने के लिए रातों में रतजगा कर रहे हैं। समूह में किसान चारों कोने पर आग जलाकर रखते हैं। जैसे ही झुंड आने की आहट होती है, पुआल डालकर आग तेज की जाती है और कुछ किसान शोर मचाकर उन्हें भगाने की कोशिश करते हैं।
दिन में भी जब तक 10–20 किसान एक साथ लाठी-डंडे लेकर नहीं पहुंचते, तब तक नीलगायों का झुंड खेत में ही पड़ा फसल चरता रहता है।
ग्रामीण बताते हैं कि गांव से खेत दूर होने के कारण दिन में तो किसान जुट जाते हैं, लेकिन रात में ठंड बढ़ने से कई बार पर्याप्त लोग इकट्ठे नहीं हो पाते। ऐसे में नीलगायों के झुंड मनमाने तरीके से फसलें बर्बाद कर रहे हैं।
दो कट्ठा में लगी केला नष्ट
श्रीकांत यादव बताते हैं कि उन्होंने जी-नाइन केला की उत्कृष्ट किस्म की खेती तैयार की थी, लेकिन शनिवार की रात नीलगायों ने लगभग दो कट्ठा में लगी पूरी केला फसल नष्ट कर दी।
वहीं हल्दीराम भुजिया फैक्ट्री के पास धान की रखवाली कर रहे दुखी यादव ने बताया कि उनके सामने ही पांच नीलगायों का झुंड धान फसल चर रहा है, किंतु अकेले होने के कारण वे रोक नहीं पा रहे। डर है कि भगाने जाएंगे तो हमला कर सकता है, इसलिए लाचार होकर देखना पड़ रहा है—जो बचेगा वही घर ले जाएंगे।
किसानों का कहना है कि यदि सरकारी स्तर पर प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो फसल बचाना मुश्किल होता जाएगा। ग्रामीणों की यह लाचारगी लगातार बढ़ती जा रही है और नीलगायों के आतंक से खेती करना चुनौती बन गया है।

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