गया में भाजपा किसान मोर्चा का चुनावी शंखनाद, 10 सीटों पर बनाई जीत की रणनीति
गया में भाजपा किसान मोर्चा ने आगामी चुनावों के लिए कमर कस ली है। जिला कार्यालय में हुई बैठक में एनडीए की जीत सुनिश्चित करने और विपक्ष को करारा जवाब देने की रणनीति बनाई गई। नेताओं ने 2025 में सत्ता का रिमोट गया से नियंत्रित करने का दावा किया। कार्यकर्ताओं को केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए।

जागरण संवाददाता, गयाजी। राजनीति में मौसम चाहे कोई भी हो, चुनावी तापमान कभी कम नहीं होता। इसी तपिश को मापते हुए भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा ने गया में ऐसी चुनावी गोट बिछाई कि विपक्षी खेमे में हलचल तय मानी जा रही है।
किसान मोर्चा के जिला कार्यालय में आयोजित इस ‘रणनीतिक जोड़-घटाव’ की बैठक की कमान भाजपा किसान मोर्चा बागवानी प्रकोष्ठ के सह-संयोजक डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने संभाली।
मंच पर भाजपा पश्चिम के जिलाध्यक्ष प्रेम प्रकाश चिंटू, अति पिछड़ा आयोग के सदस्य अमित कुमार दांगी, कई प्रदेश कार्यसमिति सदस्य और अनुभवी कार्यकर्ता मौजूद थे।
बैठक का विषय सीधा था—गयाजी जिले की दसों विधानसभा सीटों पर एनडीए का परचम लहराना, पर अंदाज ऐसा कि जैसे विरोधियों को पहले ही “जनादेश-पत्र” थमा दिया गया हो।
बैठक में तय हुआ कि अबकी बार जीत सिर्फ जीत नहीं होगी, बल्कि “मतों की सुनामी” से होगी। नेताओं ने ताल ठोकते हुए दावा किया कि 2025 में सत्ता का रिमोट खुद गया जिले के बूथों से नियंत्रित होगा।
डॉ. मनीष पंकज मिश्रा ने कहा कि नवरात्र के समापन और मां दुर्गा के विसर्जन के बाद यह संकल्प महज राजनीतिक घोषणा नहीं, बल्कि एक ‘अभिषेक अभियान’ है।
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि विपक्ष फिलहाल उम्मीदवार तय करे या फिर बहाने—वोट तो जनता तय करेगी और फैसला एनडीए के पक्ष में आएगा।
उन्होंने भरोसा जताया कि पंचायतों से लेकर मोहल्लों तक भाजपा का नेटवर्क पहले से ज्यादा सक्रिय है और विपक्षी दलों के ‘गठबंधन गणित’ को बूथ प्रबंधन निगल जाएगा।
बैठक में भाजपा कार्यकर्ताओं ने नारा लगाया—“फिर एक बार एनडीए सरकार”—और माहौल ऐसा बना मानो चुनाव प्रचार आगाज हो चुका हो।
नेताओं ने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट निर्देश दिया कि मतदाताओं के बीच केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को ऐसे उतारना है कि विपक्ष मुद्दा भी खोजता रह जाए।
चर्चा के दौरान यह भी सामने आया कि इस बार गठबंधन की अंदरूनी तालमेल को मजबूत कर विपक्ष के ‘एकजुटता मिथक’ को तोड़ा जाएगा। बूथ स्तर पर 100 फीसदी सक्रियता, पंचायतवार प्रभारी नियुक्ति और सोशल आउटरीच अभियान की रूपरेखा यहीं से तय की गई।
इस चुनावी काकटेल में भावनाएं, रणनीति और कटाक्ष तीनों मौजूद रहे। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए ने गया से चुनावी कुंडली बनानी शुरू कर दी है, और संदेश साफ है। इस बार लड़ाई सीटों की नहीं, बाढ़ की तरह बढ़त की होगी।
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