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    गया के नक्‍सल प्रभावित करमा गांव को मिली नई पहचान, शिक्षक अजीत साहित्‍य में लिख रहे नई इबारत

    By Sumita JaiswalEdited By:
    Updated: Sat, 26 Jun 2021 08:15 AM (IST)

    कभी यहां बंदूक की आवाज गूंजती थी। अब इस गांव के शिक्षक अजीत कुमार यहां जागरूकता का नया सवेरा लाए हैं। अपनी कला व कलम की ताकत से गांव को नई पहचान दिला ...और पढ़ें

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    गया के गुरारू प्रखंड के करमा गांव के शिक्षक अजीत कुमार। जागरण फोटो।

    गुरारू (गया), संवाद सूत्र। गया जिले के गुरारू प्रखंड के अंतर्गत कोंच थाना क्षेत्र के करमा गांव की चर्चा हमेशा प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी की सांस्कृतिक राजधानी के रुप में ही होती रही है । लेकिन इसी गांव के निवासी व पेशे से शिक्षक अजीत कुमार ने अपनी कलम की ताकत से अब इस गांव को नई पहचान  दिला दी है । वे शिक्षक होने के साथ लेखक व कलाकार भी हैं। नाटक लेखन के जारिए वे समाज में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। बिहार सरकार ने उनके नाटक संग्रह को प्रकाशित करने के लिए चयनित किया है।

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    बिहार सरकार के राजभाषा विभाग ने शिक्षक अजीत के द्वारा लिखित नाटक संग्रह आईना की पांडुलिपि को प्रकाशित करने के लिए हिन्दी पांडुलिपि प्रकाशन अनुदान योजना 2020-21 के तहत चयनित किया है ।पांडुलिपि के प्रकाशन के लिए 31500 रुपये की राशि अनुदान देने की घोषणा की है ।

    सात नाटकों का संग्रह है आईना

    शिक्षक अजीत ने बताया है कि नाटक संग्रह आईना वर्तमान परिवेश और भ्रष्टाचार पर लिखी गई सात नाटकों का संग्रह है । जानवर बोलता है, पाप का बाप कौन, वक्त, अभिशाप, जल बिन सब सून, हक की आवाज, पेंडुलम नामक नाटक आईना में लिखी गई है ।

    बचपन में ही नाटकों के प्रति आकर्षित हुए

    नाटक के प्रति लगाव के बारे में अजीत ने बताया है कि बचपन में गांव में होने वाले नाटकों में कलाकारों का नाम माइक से पुकारा जाना उन्हें आकर्षित करता था । उनके पिता पतरातू में काम करते थे । जब वे वहां गए तो पहली बार टीवी देखने को मिला । जिसने उनकी लालसा को और बढ़ा दी ।  अजीत बताते हैं कि सबसे पहले गुरारू के एक निजी स्कूल में पढ़ाते वक्त उन्होंने दो अंग्रेजी नाटक एजुकेशन इज एवरीथिंग व हू इज ओन  था ।

    अभिनय और साहित्य लेखन सीखने के उद्देश्य से दिल्ली गए । नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में एडमिशन के लिए अप्लाई किया । लेकिन उन्हें कॉल नहीं आया । इस बीच दिल्ली में एक नाटककार जैन साहब से उनकी मुलाकात हुई और दिल्ली में उन्होंने थिएटर में काम कर कुछ नाटकों में अभिनय भी किया । इसी दौरान उन्होंने कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत ज्ञान भारती कॉलेज इनदरी (करनाल) से वर्ष 2011 में बीएड का कोर्स किया । 2012 में टीटी की परीक्षा पास कर गुरारू प्रखंड के मध्य विद्यालय बरोरह में शिक्षक बने । जिसके बाद उन्हें स्थानीय साहित्य प्रेमी वासुदेव प्रसाद ने गया जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन का सदस्य बनाया । फिलहाल वे हिंदी साहित्य सम्मेलन गुरारू शाखा के सचिव भी हैं ।

    अजीत बताते हैं कि उनकी दो पुस्तकें नाटक संग्रह नया सवेरा जिसमें 11 नुक्कड़ नाटकों व कविता संग्रह मनोवृति इसमें कई कविताएं लिखी गई है । प्रकाशित हो चुकी है ।