Success Story: जलवायु परिवर्तन से जंग लड़कर आगे निकला नकटैया, नाबार्ड की पहल से बदल रही तस्वीर
गया जिले के डोभी प्रखंड का नकटैया गांव जलवायु परिवर्तन के खिलाफ एक मिसाल बन गया है। नाबार्ड की मदद से ग्रामीणों ने जल संरक्षण सतत कृषि और महिला सशक्तिकरण की दिशा में महत्वपूर्ण काम किया है। जलछाजन समिति ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और कृषि उत्पादन को टिकाऊ बनाने का लक्ष्य रखा।

नीरज कुमार मिश्र, डोभी (गया)। पांच साल पहले प्रखंड के नकटैया जलछाजन क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के खिलाफ जंग छेड़ी थी। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से जलछाजन समिति नकटैया ने ग्रामीणों को संगठित कर जल-संरक्षण, सतत कृषि, महिला सशक्तिकरण और सामाजिक विकास की दिशा में एक मिसाल कायम कर दिया। गांव की गलियों से लेकर खेतों तक इसका असर साफ दिखाई देने लगा है।
ग्रामीणों की ताकत बनी जलछाजन समिति
नकटैया, बैदौली, मसौधा, गरवैया और इन्नोवा गांवों को मिलाकर बनी जलछाजन समिति आज विकास की नई इबारत लिख डाली है। करीब 834 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले इस इलाके में 396 परिवार रहते हैं, जिनकी कुल जनसंख्या 3010 है। इनमें से 67 परिवार भूमिहीन हैं।
समिति का मुख्य लक्ष्य जलवायु परिवर्तन के असर को कम करना और कृषि उत्पादन को टिकाऊ बनाना था, जिसे धरातल पर उतारने का कार्य किया। ग्रामीणों को जोड़ने के लिए कई गतिविधियां चलाई गईं।
इनमें अमृतधारा, मिट्टी और जल संरक्षण, तालाब निर्माण, शौचालय निर्माण, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य जागरूकता, स्वच्छता अभियान समेत कई पहल शामिल हैं। विशेष रूप से पशु चिकित्सा शिविर, पोषण आहार वितरण और वृक्षारोपण अभियान ने गांव की तस्वीर बदल दी है।
जलवायु परिवर्तन का असर और समाधान
पोस्टर और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में ग्रामीणों को समझाया गया कि कैसे बढ़ता तापमान, घटती वर्षा और असमय मौसम बदलाव खेती को प्रभावित कर रहा है। जलवायु परिवर्तन का सीधा असर खेती, स्वास्थ्य और आजीविका पर दिख रहा है।
इसके समाधान के लिए फसल विविधीकरण, प्राकृतिक खाद का प्रयोग, वर्षा जल संचयन, जैविक खेती और ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत अपनाए जा रहे हैं। पहाड़ से आने वाले पानी को रोकने के लिए बांध बनाया गया। जिससे जरूरत पड़ने पर आवश्यकतानुसार लोग अपने खेतों तक पानी पहुंचाते है।
महिलाओं की भूमिका अहम
गांव की महिलाएं अब स्व-सहायता समूह बनाकर आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हो रही हैं। रसोई बागवानी, बकरी पालन, मुर्गी पालन और सिलाई जैसे कार्यों के जरिए वे घर की आय बढ़ा रही हैं। स्वच्छता और पोषण अभियान में भी उनकी सक्रिय भागीदारी है।
परिवर्तन की गूंज
आज नकटैया के किसान रासायनिक खाद की जगह जैविक खाद अपना रहे हैं। तालाब और चेकडैम से खेतों तक पानी पहुंच रहा है। हरियाली बढ़ाने के लिए हजारों पौधे लगाए गए हैं। गांव के बच्चे स्कूल जाने लगे। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो रहे हैं।
ग्रामीणों की जुबानी
स्थानीय किसान यदुनंदन यादव का कहना है कि पहले बारिश के भरोसे खेती करना मजबूरी थी। गांव की मिट्टी पथरीली थी। लेकिन अब जलछाजन कार्य और तालाब निर्माण से खेतों तक पानी पहुंच रहा है। फसल उत्पादन बढ़ा है और खेती में विविधता आई है। महिलाओं का कहना है कि स्व-सहायता समूह से उन्हें नई पहचान और आत्मविश्वास मिला है।
नजीर बना नकटैया
डोभी का नकटैया अब जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मॉडल गांव के रूप में उभर रहा है। यहां के अनुभव अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणा बन रहे हैं। नाबार्ड की यह पहल साबित कर रही है कि जब ग्रामीण संगठित होकर आगे बढ़ें, तो विकास की राह आसान हो जाती है। नकटेया की इस जंग से साबित होता है कि सतत विकास की असली ताकत गांवों से ही निकलती है।
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