Mushroom Farming: 'हर घर मशरूम योजना' ने बदली गया के किसानों की किस्मत, 50 हजार परिवार हुए आत्मनिर्भर
गया जिला मशरूम उत्पादन में बिहार में सबसे आगे है, जहाँ लगभग 50,000 परिवार इससे जुड़े हैं। 'हर घर मशरूम योजना' ने इसे संभव बनाया है। कम लागत और अधिक लाभ के कारण किसान मशरूम उत्पादन में रुचि दिखा रहे हैं। यहाँ का मशरूम दिल्ली, कोलकाता जैसे शहरों में भी पसंद किया जा रहा है। प्रशिक्षण के माध्यम से किसानों को उत्पादन की तकनीक सिखाई जा रही है।

हर घर मशरूम योजना
जागरण संवाददाता, गयाजी। मशरूम उत्पादन के क्षेत्र में गया जिला आज पूरे बिहार में अपना अलग ही नाम बना चुका है। जिले में करीब 50 हजार से अधिक परिवार मशरूम उत्पादन से जुड़े है। जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ हुई है। बल्कि यह जिले की पहचान भी बन गई है।
लगातार बढ़ते उत्पादन , तकनीकी प्रशिक्षण और बाजार की बेहतर मांग ने गया को बिहार का नंबर एक मशरूम उत्पादन जिला बना दिया है।
कम लागत में अधिक लाभ
जिला उद्यान पदाधिकारी तबस्सुम परवीन ने बताया कि मशरूम उत्पादन की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण है कि यह कम लागत में अधिक लाभ देने वाला व्यवसाय है। हर घर मशरूम योजना के तरह जिले के लगभग प्रत्येक गांव में चार से पांच परिवार मशरूम उत्पादन से जुड़े है।
विशेषकर बटन मशरूम का उत्पादन सर्दियों के मौसम में चरम पर होता है। जिससे किसानों को अच्छा लाभ मिलता है। वहीं एसी यूनिट मशरूम उत्पादन के जिले में रोजगार और आय को नई दिशा दी है।
वर्तमान में 15 से 20 परिवार आधुनिक एसी यूनिट के माध्यम से मशरूम का सालोंभर उत्पादन कर रहे है। यह उत्पादन पद्धति वजीरगंज, कोंच, मानपुर, बोधगया, गनर प्रखंड और इमामगंज सहित कई क्षेत्रों में तेजी से फैल रही है। बटन मशरूम जहां ठंड के मौसम में ही उपलब्ध होता है।
किसानों की आय का साधन बना
वहीं एसी यूनिट मशरूम पूरे वर्ष भर किसानों की आय का साधन बना हुआ है। गया में उत्पादित मशरूम की मांग सिर्फ स्थानीय बाजार तक सीमित नहीं रही है। जिले का मशरूम दिल्ली, कोलकाता, रांची और जमशेदपुर जैसे बड़े शहरों में भी खूब पसंद किया जा रहा है।
बाजार में की मांग इतनी अधिक है कि किसानों को बिक्री की किसी भी प्रकार की चिंता नहीं रहती। गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और निरंतर आपूर्ति ने गया के मशरूम को बड़े बाजारों में एक विशेष पहचान दिलाई है। मशरूम उत्पादन की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस तैयार करना आसान है। कम खर्च में अच्छा मुनाफा मिलता है।
इसके लिए मुख्य रूप से धान एवं गेहूं के भूसे से मशरूम बैग तैयार किया जाते है। इस बैगों के माध्यम से किसान आसानी से और कम समय में मशरूम का उत्पादन कर सकते है। कृषि विभाग भी इसे क्षेत्र को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पांच सौ से अधिक किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण
विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष पांच सौ से अधिक किसानों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण के दौरान किसानों को बैग तैयार करने, तापमान नियंत्रण, उत्पादन तकनीक और बाजार प्रबंधन की जानकारी विस्तार से दी जाती है।
प्रशिक्षण का ही परिणाम है कि जिले पूरे प्रदेश में मशरूम उत्पादन में प्रथम स्थान पर पहुंच गया है। मशरूम उत्पादन ने जिले में रोजगार, स्वरोजगार और आर्थिक उन्नति का नया मार्ग खेला है।

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