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    Mukesh Ambani Gaya Visit: मुकेश और अनंत अंबानी पहुंचे गयाजी, परंपरागत विधि से किया पिंडदान

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 09:33 PM (IST)

    मुकेश अंबानी अपने बेटे अनंत अंबानी के साथ गयाजी पहुंचे और विष्णुपद मंदिर में पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान किया। आचार्य श्याम बिहारी पांडे ने विधि-विधान से पिंडदान करवाया। अंबानी ने मंदिर के गर्भगृह में भगवान के चरण चिह्न पर पिंड अर्पित किया और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद लिया। विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति ने उन्हें विष्णु चरण चिह्न भेंट किया।

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    मुकेश अंबानी ने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए की प्रार्थना

    जागरण संवाददाता, गयाजी। देश के बड़े उद्योगपति और रिलायंस समूह के अध्यक्ष मुकेश अंबानी शुक्रवार की शाम अपने छोटे पुत्र अनंत अंबानी के साथ विशेष विमान से गयाजी पहुंचे। यहां पिता-पुत्र ने प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर में पितरों के आत्मा की शांति और मोक्ष की कामना को लेकर परंपरागत तरीके से पिंडदान किया।

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    विधि-विधान आचार्य श्याम बिहारी पांडे के नेतृत्व में किया गया। लगभग एक घंटे तक चले वैदिक अनुष्ठान में पिता-पुत्र तन्मय दिखे। दोनों मंदिर के गर्भगृह में पहुंचे। भगवान श्रीहरि के चरण चिह्न पर पिंड अर्पित कर नमन किया और चरण की परिक्रमा की। साथ ही गर्भगृह में स्थित माता लक्ष्मी के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।

    विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति के अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल ने बताया कि अंबानी पिता-पुत्र ने अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए विशेष प्रार्थना भी की। विष्णुपद मंदिर में पिंडदान करना अति दुर्लभ और पुण्य का कार्य माना जाता है। मुकेश अंबानी ने पूरे विधि-विधान से यह कर्मकांड संपन्न किया।

    उन्होंने फल्गु, विष्णुपद और अक्षयवट में कर्मकांड किया। अंत में श्री विष्णुपद प्रबंधकारिणी समिति द्वारा मुकेश अंबानी को विष्णु चरण चिह्न व अंग वस्त्र भेंट किया गया। दोनों ने मीडिया से दूरी बनाए रखी और सीधे मंदिर परिसर में पहुंचे।

    उनके आगमन को लेकर मंदिर परिसर और हवाई अड्डे पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे। दोनों रात में ही विशेष विमान से मुंबई लौट जाएंगे। गयाजी में पितरों की शांति के लिए पिंडदान करने की परंपरा सदियों पुरानी है।

    श्राद्ध पक्ष में देश और विदेश से लाखों लोग यहां पहुंचते हैं और पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करते हैं। मान्यता है कि गयाजी में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।