अपनी कर्मठता एवं दृढ़ संकल्प इच्छा शक्ति से पर्वत पुरुष दशरथ मांझी ने बनाई पहचान
अतरी (गया)। दशरथ मांझी की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर दशरथ मांझी महोत्सव का आयोजन मोहड़ा प्रखंड के गहलोर में बुधवार किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी, मंत्री ग्रामीण कार्य विभाग श्रवण कुमार, मंत्री, अनुसूचित जाति जनजाति कल्याण विभाग संतोष कुमार सुमन, सांसद विजय कुमार ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किए। डीएम ने कहा कि आज माउंटेन मैन के नाम से जग में विख्यात दशरथ मांझी की स्मृति में आयोजित दशरथ मांझी महोत्सव मनाया जा रहा है। जिलाधिकारी डा. त्यागराजन एसएम ने अतिथि को पुष्पगुच्छ एवं मोमेंटो देकर स्वागत किया। दशरथ मांझी (1929-2007) गया जिला के गेहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे। केवल हथौड़ा और छेनी लेकर इन्होंने अकेले ही 360 फीट लंबे, 30 फीट चौड़े और 25 फीट ऊंचे पहाड़ को काट के सड़क बना डाली। 22 वर्षों के परिश्रम के बाद, दशरथ मांझी के बनायी सड़क ने अतरी और वजीरगंज ब्लॉक की दूरी को लगभग 55 किलोमीटर से 15 किलोमीटर कर दिया। 17 अगस्त, 2007 को 73 साल की उम्र में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), दिल्ली में कैंसर से पीड़ित दशरथ मांझी का निधन हो गया। बिहार सरकार के द्वारा राजकीय सम्मान के साथ इनका अंतिम संस्कार किया गया। वे माउंटेन मैन के रूप में विख्यात हैं। उनकी इस उपलब्धि के लिए बिहार सरकार ने सामाजिक सेवा के क्षेत्र में 2006 में पद्मश्री हेतु उनके नाम का प्रस्ताव रखा। स्मृति भवन पर्यटकों को करेगा आकर्षित मुख्यमंत्री द्वारा गेहलौर में तीन किमी लंबी एक सड़क,अस्पताल, पंचायत भवन, किसान भवन, ओपी, समाधि स्थल बनवाया। गेहलौर का पर्यटकीय विकास किया एवं वहां उनकी प्रतिमा स्थापित करवाया गया है। पहाड़ काटने के प्रयोग में लाए गए हथौड़ा और छेनी को गेहलौर में बिहार सरकार द्वारा निर्मित स्मृति भवन में पर्यटकों को देखने के उद्देश्य से निर्माण कराया गया। सभी योजनाओं में 146.26 लाख रुपये हुए खर्च बिहार राज्य पर्यटन विकास निगम, पटना द्वारा दशरथ मांझी स्मारक स्थल के विकास एवं सुंदरीकरण कार्य में चारदीवारी का निर्माण, गेट का निर्माण कार्य, समाधी स्थल का कार्य, सोलर लाईट का अधिष्ठापन एवं पार्किंग का निर्माण कार्य कराया गया है। साथ ही जन सुविधा का निर्माण, पानी का प्याउ टयूबेल एवं पहुंच पथ का निर्माण एवं दशरथ मांझी मूर्ति का स्थापना कार्य कराया गया है। साथ ही पर्वत पुरूष दशरथ मांझी स्मृति भवन का निर्माण कार्य करवाया गया है। इन सभी योजनाओं में 146.26 लाख रुपये खर्च किया गया है। आनेवाली पीढ़ी दशरथ मांझी के व्यक्तित्व से प्रेरणा लेती रहेगी। उनके कार्यवीरता की गाथा युग-युगान्तर तक गायी जाती रहेगी।
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