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    Gaya News: बेलागंज में मर गईं आठ क्विंटल मछलियां, नहीं हुई कारण की जांच; सभी को दफनाया

    गया के बेलागंज में कोरमा पोखर में बड़ी संख्या में मछलियाँ मर गईं जिससे मछली पालकों को भारी नुकसान हुआ। प्राथमिक कारण ऑक्सीजन की कमी बताई जा रही है लेकिन पानी की जाँच के बाद ही सही कारण पता चलेगा। मत्स्यजीवी संघ ने घटना पर चिंता जताई है और प्रशासन से जाँच की मांग की है। मछली पालकों को इस घटना से आर्थिक नुकसान हुआ है।

    By rakesh kumar Edited By: Rajat Mourya Updated: Tue, 26 Aug 2025 01:59 PM (IST)
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    बेलागंज में मर गईं आठ क्विंटल मछलियां, नहीं हुई कारण की जांच

    संवाद सूत्र, बेलागंज। गया जिले के बेलागंज प्रखंड अंतर्गत कोरमा पोखर में रविवार की रात बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो गई। करीब आठ क्विंटल मछलियों के नुकसान का अनुमान है। प्रथमदृष्टया ऑक्सीजन की कमी होने की बात कही जा रही है। पानी में किसी प्रकार की खराबी है या कोई बीमारी के कारण ऐसा हुआ है, यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा।

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    आठ दिन पहले भी रेवाड़ा स्थित पोखर में मछलियां मरने लगी थीं। मछली पालकों को प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न सरकारी पोखर लीज पर दिए गए हैं। वे इससे अपनी आजीविका चलाते हैं।

    मत्स्यजीवी के प्रखंड अध्यक्ष व कोरमा पोखर के लीज मालिक देवश दास ने बताया कि सोमवार की सुबह उन्हें घटना की जानकारी मिली। जब पोखर के पास पहुंचे तो मछलियां मरने के बाद पोखर में उपला रही थीं। एक वर्ष पूर्व इसमें रेहू प्रजाति की मछली का जीरा डाला गया था। मछलियां अब पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी थीं, जिसे निकालकर बेचने की तैयारी थी। दो माह पूर्व भी रेहू प्रजाति की मछलियों का जीरा डाला था। जाल डालने के बाद ही उसकी स्थिति पता चलेगी।

    देवश ने बताया कि पोखर में आसपास कई खटाल का गोबर गिराया जाता है। रविवार की रात पोखर में ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली मशीन भी बंद हो गई थी। इससे भी ऑक्सीजन की कमी होने का अनुमान है। यदि इसी प्रकार मछलियों की मौत होती रही तो मछली के उत्पादन एवं व्यवसाय पर असर पड़ेगा।

    एक पोखर में बीज डालने के समय औसत 70-80 हजार की लागत आती है। उसके बाद मछली के दाना और चूना एवं दवा में भी 25-30 हजार की लागत आती है। इसके बाद औसत आठ से दस क्विंटल मछली का उत्पादन होता है। मछलियों के मरने के बाद प्रशासन की ओर से कोई जांच नहीं की गई। मरी मछलियों को जमीन में दफना दिया गया।

    दरअसल, बड़ी संख्या में मछलियों की मौत हो और आशंका हो कि किसी ने पानी विषैला पदार्थ मिला दिया है तो प्राथमिकी दर्ज करानी होगी। इसके बाद फोरेंसिक टीम मामले की जांच करेगी। यदि ऐसा लगता है कि पानी में ऑक्सीजन की कमी के कारण मछलियों की मौत हुई तो पानी की जांच कराई जा सकती है। पटना स्थित मत्स्य अनुसंधान संस्थान में यह जांच नि:शुल्क होती है।

    बेलागंज के कोरमा पोखर में मछलियों के मरने की जानकारी मिली है। मछली पालक से बातचीत की जाएगी। वर्षा के समय ऑक्सीजन की कमी तालाब-पोखर में होती है। क्षमता से अधिक जीरा डालने के कारण भी ऑक्सीजन की समस्या होती है। चूंकि मछली का बीमा नहीं होता है, इसलिए मछली पालकों को इस मामले में कोई विभागीय सहायता का प्रविधारन नहीं है। - राजीव कुमार, जिला मत्स्य पदाधिकारी, गया