Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    गयासुर से तपस्या से प्रसन्न हुए थे भगवान विष्णु

    By JagranEdited By:
    Updated: Sat, 14 Sep 2019 02:09 AM (IST)

    ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। रचना गयासुर की भी हुई। गयासुर कोलाहल पर्वत पर तप किया। बहुत दिनों तक सांस रोककर खड़ा रहा। गयासुर की तपस्या से इंद्र भी घबराए। तब उन्होंने सभी देवताओं से विचार-विमर्श कर ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी को साथ लेकर शिव और फिर शिव के निर्देश पर सभी विष्णु के पास पहुंचे। सभी देवताओं को एक साथ आने का कारण पूछा।

    गयासुर से तपस्या से प्रसन्न हुए थे भगवान विष्णु

    गया । ब्रह्माजी ने सृष्टि की रचना की। रचना गयासुर की भी हुई। गयासुर कोलाहल पर्वत पर तप किया। बहुत दिनों तक सांस रोककर खड़ा रहा। गयासुर की तपस्या से इंद्र भी घबराए। तब उन्होंने सभी देवताओं से विचार-विमर्श कर ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी को साथ लेकर शिव और फिर शिव के निर्देश पर सभी विष्णु के पास पहुंचे। सभी देवताओं को एक साथ आने का कारण पूछा। तब विष्णुजी को बताया गया कि कोलहाल पर्वत पर गयासुर घोर तपस्या की है, और जिससे देवलोक को परेशानी ना हो। इस कारण आप तक हमलोग विनती करने आए हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    विष्णुजी सभी देवताओं के अनुरोध पर गयासुर से उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर वरदान मांगने को कहा। गयासुर ने श्रीविष्णु से वर मांगा कि 'मेरे स्पर्श से सुर-असुर, कीट-पतंग पापी ऋषि, मुनि, प्रेत सभी पवित्र होकर मुक्ति को प्राप्त करें।' भगवान ने एवमस्तु कह कर अंतध्र्यान हो गए।

    तब से गयासुर की यह कथा गयाजी में सर्वव्यापी है, और इसी की मान्यता पर गयाजी में पिंडदान की परंपरा शुरू हुई। यहां यह बता दें कि भगवान विष्णु के वरदान देने के बाद उसका शरीर पवित्र हो गया, तो ब्रह्माजी ने शरीर पर यज्ञ करने की आज्ञा मांगी। तब, गयासुर उतर दिशा करके सिर के लेट गया। ब्रह्माजी सहित संपूर्ण ऋषि-मुनियों ने गयासुर के ऊपर यज्ञ आरंभ किया। यज्ञ समाप्ति के बाद गयासुर का शरीर हिलने लगा। फिर ब्रह्माजी सहित अन्य देवताओं को नारायण को स्मरण कर गयासुर को स्थिर करने के उपाय मांगे। तब गजाधर के रूप में विष्णु प्रकट हुए और गयासुर के शरीर पर अपना पांव रखा और गयासुर स्थिर हो गया। फिर उसने वरदान मांगा कि यहां स्नान, तर्पण, दान-पुण्य कर भगवान का दर्शन-पूजन करें वह पापों से मुक्त हो। गयासुर ने कहा-मेरे ऊपर इस शिला पर सभी देवी-देवता विराजमान रहे। और यह तीर्थ मेरे नाम से प्रसिद्ध हो।