भगवान चित्रगुप्त महाराज की कायस्थ परिवारों ने की पूजा, मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं भगवान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं के लेखापाल भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। लेखन के कार्य से भगवान चित्रगुप्त के जुड़ाव होने के कारण इस तिथि को कलम दवात और बही खाते की पूजा की जाती है।

संवाद सूत्र, चैनपुर: प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत विभिन्न गांवों में शनिवार को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को सभी कायस्थ परिवारों ने अपने वंशज भगवान चित्रगुप्त महाराज की पूजा की। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं के लेखापाल भगवान चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं। लेखन के कार्य से भगवान चित्रगुप्त के जुड़ाव होने के कारण इस तिथि को कलम दवात और बही खाते की पूजा की जाती है। कायस्थ परिवारों के मुताबिक भगवान चित्रगुप्त कायस्थ परिवारों के वंशज हैं।
चित्रगुप्त जी महाराज दो विवाह किए, जिनसे उन्हें 12 पुत्र प्राप्त हुए
कायस्थ परिवारों ने बताया कि भगवान ब्रह्मा के पुत्र चित्रगुप्त जी महाराज दो विवाह किए थे। जिनसे उन्हें 12 पुत्र प्राप्त हुए। उन 12 पुत्र के ही वंशज इस धरती पर कायस्थ जाति के नाम जाने जाते हैं। भगवान चित्रगुप्त लेखकों को अक्षर प्रदान करते हैं, कायस्थ जाति लेखन के कार्य से ही जाने जाते हैं। उनकी पहचान लेखन के कार्य से ही है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीय तिथि को हिंदू पंचांग के अनुसार विधिवत भगवान चित्रगुप्त एवं कायस्थ परिवारों की कुलदेवी महर्षमर्दिनी देवी की पूजा करते हैं।
इस मौके पर सौरभ कुमार, सुमित सिन्हा, विक्की कुमार, मुकेश कुमार, अजीत श्रीवास्तव, संजय प्रधान, विजय श्रीवास्तव, अनिल श्रीवास्तव सहित समस्त कायस्थ परिवार उपस्थित हुए।
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