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    साक्षरता से बदली महिलाओं की तकदीर, अंगूठा की बजाए कर रही हस्ताक्षर, बच्‍चे भी पढ़ते हैं साथ

    By Sumita JaiswalEdited By:
    Updated: Thu, 09 Sep 2021 06:22 AM (IST)

    राज्य सरकार की अक्षर आंचल कार्यक्रम अनपढ़ महिलाओं को अपनी तकदीर बनाने में मील का पत्थर साबित हुआ है। कल तक कागजों में अंगूठे लगाने वाली महिलाएं आज बैंकों व दफ्तरों में पहुंच हस्ताक्षर करने लगी है। केंद्र पर महिलाओं के साथ-साथ उनके बेटे-बेटी भी पढ़ाई कर रहे हैं।

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    अक्षर आंचल केंद्र पर महिलआों के साथ पढ़ते बच्‍चे। जागरण फोटो।

    सासाराम : रोहतास, जागरण संवाददाता। राज्य सरकार की अक्षर आंचल कार्यक्रम अनपढ़ महिलाओं को अपनी तकदीर बनाने में मील का पत्थर साबित हुआ है। कल तक कागजों में अंगूठे लगाने वाली महिलाएं आज बैंकों व दफ्तरों में पहुंच हस्ताक्षर करने लगी है। महिलाएं सिर्फ अक्षर ज्ञान हासिल ही नहीं कर रही हैं बल्कि वह अपने सामाजिक व पारिवारिक अधिकार के साथ कर्तव्य से भी वाकिफ होने लगी हैं। अक्षर आंचल केंद्र पर अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक व अतिपछड़ा वर्ग से जुड़ी महिलाओं के साथ-साथ उनके बेटे-बेटी भी पढ़ाई कर रहे हैं। अक्षर ज्ञान प्राप्त कर आधी आबादी निरक्षरता की कलंक को मिटा दिया है। पढ़ी-लिखी कई महिलाएं टोला सेवक या तालिमी मरकज के रूप में वैसे बस्ती में शिक्षा दान कर अक्षर ज्ञान की ज्योति जला रही हैं जो दशकों से वंचित रही है। इन्हीं महिलाओं में से एक है सबिता कुमारी, जो जिला मुख्यालय से सटे  बेदा गांव में अनपढ़ महिलाओं को साक्षर बना रही हैं। साक्षरता कर्मी वंशीधर दूबे की माने तो महिला साक्षरता में जिला सूबे में नंबर एक रहा है।

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    2011 के जनगणना के अनुसार जिले में महिला साक्षरता फीसद 64.95 रहा है। मुख्यमंत्री अक्षर आंचल कार्यक्रम के तहत जिले में 949 साक्षरता सह कोचिंग केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। जहां पर अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक व अतिपछड़ा वर्ग से जुड़ी असाक्षर महिलाओं को अक्षर ज्ञान देने के साथ-साथ उनके बच्चों को भी कोङ्क्षचग के माध्यम से पढ़ाया जा रहा है। साक्षरता केंद्र में 12629 महिला व 17071 बच्चों का नामांकन है। कई साक्षर महिलाएं तो पिछले पंचायत चुनाव में जीत कर मुखिया व प्रखंड प्रमुख जैसे पद पर आसीन हो पंचायत सरकार को चलाने में अग्रणी भूमिका निभाने का काम किया।