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    Gaya News: लेमनग्रास की खेती से 40 परिवारों की बदली किस्मत, भविष्य में और अधिक उम्मीद

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 02:47 PM (IST)

    गया जिले में कृषि विभाग बंजर भूमि पर लेमनग्रास की खेती को बढ़ावा दे रहा है, जिससे 40 परिवारों की किस्मत बदल गई है। बांकेबाजार, बाराचट्टी, परैया और कोंच में 20-20 क्लस्टर सेंटर बनाए गए हैं। लेमनग्रास की खेती से किसानों को कम लागत में अधिक लाभ मिल रहा है, और वे तेल निकालकर भी अच्छी आय प्राप्त कर रहे हैं। कृषि विभाग किसानों को प्रशिक्षण भी दे रहा है।

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    जागरण संवाददाता, गयाजी। जिले में कृषि विभाग द्वारा बंजर भूमि के उपयोग और अफीम की खेती को रोकने के उद्देश्य से लेमनग्रास की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिला उद्यान पदाधिकारी तबस्सुम परवीन ने बताया कि जिले के चार प्रखंड बांकेबाजार, बाराचट्टी, परैया और कोंच में लेमनग्रास की खेती तेजी से विस्तार कर रही है। यहां 20-20 क्लस्टर सेंटर बनाए गए हैं।

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    उन्होंने कहा कि जहां प्रत्येक क्लस्टर में पांच से छह किसान लेमनग्रास की खेती कर रहे हैं। इस तरह पूरे जिले में 35 से 40 परिवार इस नई खेती के माध्यम से बेहतर आय अर्जित कर अपने जीवन स्तर को सुधार रहे हैं।

    लेमनग्रास की खेती का उद्देश्य न सिर्फ बंजर भूमि पर हरियाली बढ़ाना है, बल्कि उन क्षेत्रों में वैकल्पिक खेती का विकल्प देना भी है, जहां पहले अफीम की खेती की प्रवृत्ति देखी जाती थी। लेमनग्रास की खेती कम लागत में अधिक लाभ देने वाली फसल साबित हो रही है।

    किसान इसे तैयार अवस्था में बाजार में बेचते हैं, जहां इसकी अच्छी मांग है। इसके अलावा कटाई के बाद मशीन के माध्यम से लेमनग्रास का तेल भी निकाला जाता है, जो बाजार में ऊंचे दाम पर बिकता है। इस प्रक्रिया से किसानों की आय में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है।

    लेमनग्रास की विशेषता यह है कि इसकी कटाई साल में तीन बार की जाती है, जिससे किसानों को लगातार आय प्राप्त होती रहती है।

    किसानों का कहना है कि पहले जहां उनकी जमीन पर कोई खेती नहीं होती थी, अब वहीं से उन्हें स्थायी आय होने लगी है। कृषि विभाग द्वारा किसानों को नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिसमें मिट्टी प्रबंधन, पौधारोपण, सिंचाई तकनीक और तेल निष्कर्षण से जुड़े आधुनिक तरीकों की जानकारी शामिल है।

    लेमनग्रास का उपयोग दवा उद्योग, सौंदर्य प्रसाधनों और घरेलू उत्पादों में तेजी से बढ़ रहा है, जिससे बाजार में इसकी मांग बनी हुई है। यह किसानों के लिए एक सुरक्षित और लाभदायक विकल्प बनता जा रहा है।

    जिले के उक्त प्रखंडों में चल रही यह पहल न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रही है, बल्कि बंजर भूमि पर हरियाली बढ़ाने और अवैध खेती पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो रही है। कृषि विभाग की इस रणनीति से भविष्य में और अधिक किसानों के जुड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।