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    किसान आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय उपवास के बीच कवि सम्मेलन का किया गया आयोजन

    By Prashant KumarEdited By:
    Updated: Sat, 02 Jan 2021 04:22 PM (IST)

    प्रगतिशील लेखक संघ के सांस्कृतिक टीम जुटान की ओर से किसान आंदोलन के समर्थन में आज स्थानीय प्रजातंत्र चौक स्थित रैनबसेरा के मुक्ताकाशी प्रेक्षागृह में एक दिवसीय उपवास एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष मंडल के साथी नरेंद्र प्रसाद सिंह और परमानंद सिंह ने की।

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    किसान आंदोलन के समर्थन में एक दिवसीय उपवास। प्रतीकात्‍मक चित्र।

    जागरण टीम, नवादा। प्रगतिशील लेखक संघ के सांस्कृतिक टीम जुटान की ओर से किसान आंदोलन के समर्थन में आज स्थानीय प्रजातंत्र चौक स्थित रैनबसेरा के मुक्ताकाशी प्रेक्षागृह में एक दिवसीय उपवास एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता अध्यक्ष मंडल के साथी नरेंद्र प्रसाद सिंह और परमानंद सिंह ने की। मंच का संचालन जुटान के संयोजक शम्भु विश्वकर्मा ने किया। 9 बजे सुबह से कवि लोग उपवास पर बैठे थे जबकि 4 बजे संध्या तक कवि सम्मेलन का दौर चलता रहा ।

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    कवि सफी जानी नादां ने गजल का शेर पढ़ते हुए कहा - कहानी झूठी सुना सुना के सच्चाई सबसे छुपा रहे हो, फिरंगियों को भगाया जिसने उसे ही घर से भगा रहे हो। कवि परमानन्द सिंह ने किसान संवेदना को कविता में पिरोते हुए कहा - ई सरकार हमर नञ् हकै सेठ व्यापारी के...। जनकवि नरेंद्र प्रसाद सिंह ने मगही गीत के बोल - " घरे के मालिक तरे-तरे कर देलको सभे नाश " के माध्यम से कृषि कनून को प्रतिरोध किया। दिनेश कुमार अकेला ने लोकप्रिय तर्ज पर कहा " फिर आये तेरी सरकार न न रे बाबा ।" कृष्ण कुमार भट्टा ने केंद्र सरकार की नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि " तो नेता के बेटा हम ही बेटा मजूर किसान के"। शम्भु विश्वकर्मा ने जनवादी तेवर में गजल पढ़ते हुए कहा -" किसान का हूं मैं एक बेटा नहीं लहू में रही गुलामी, भले बनाया गया नगाड़ा जिसे सियासत बजा रही है। अशोक समदर्शी ने बाजार वाद पर उंगली उठाते हुए कहा " अब हाल क्या सुनाये हम अपने अजीज के, बोली वो लगाने लगे मेरी ही चीज के...। व्यंगकार उदय कुमार भारती ने बाजारवाद और कॉर्पोरेट घरानों पर जम कर प्रहार किया।

    इसी प्रकार गौतम कुमार सरगम , सत्येंद्र महाराज , रामबली व्यास आदि ने जुटान मंच पर काव्यात्मक प्रतिरोध का नमूना पेश किया। कार्यक्रम में कवियों के अलावे कई जनसंगठन और किसान संगठन के लोग भी शामिल थे जिन्होंने उपवास पर बैठे कवियों का हौसला बढ़ाया और किसान आंदोलन का समर्थन करते हुये केंद्र सरकार द्वारा लाये गए तीनो कृषि कानून वापस लेने की मांग की । इसी कड़ी में जादूगर मनोज कुमार ने हैरतअंगेज जादू दिखा कर महा ठगों का पर्दाफास किया।

    कार्यक्रम में नरेश चन्द्र शर्मा , उमेश प्रसाद , दिनेश सिंह , दशरथ प्रसाद , अवधेश कुमार , श्यामदेव प्रसाद ,  सलमान खुर्शीद , मो अब्दुल्ला आजम , केवी प्रसाद , जनार्दन सिंह मगहियाक्ष समेत जनसंगठन के कई नेता उपस्थित होकर किसान आंदोलन का समर्थन किया। अंत में नरेंद्र प्रसाद सिंह और सत्येंद्र महाराज की जोड़ी ने केशरी काका के बहुचर्चित झूमर से लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर जनसंगठन और किसान नेताओं ने सभी कवियों का उपवास सरबत पिलाकर तुड़वाया।

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