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    महाबोधि मंदिर में करमापा की उपस्थिति से गूंजे बुद्ध वचन, काग्यू मोनलम पूजा में उमड़े विश्वभर के श्रद्धालु

    Updated: Wed, 17 Dec 2025 03:26 PM (IST)

    17वें ग्यालवा करमापा थीनले थाये दोरजे ने महाबोधि मंदिर में सात दिवसीय काग्यू मोनलम चेन्मो पूजा में भाग लिया। उन्होंने भगवान बुद्ध को नमन किया और विश्व ...और पढ़ें

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    काग्यू मोनलम चेन्मो पूजा के तीसरे दिन पहुंचे 17वें ग्यालवा करमापा थीनले थाये दोरजे

    संवाद सूत्र, बोधगया(गयाजी)।तिब्बती बौद्ध परंपरा के प्रमुख आध्यात्मिक गुरु 17वें ग्यालवा करमापा थीनले थाये दोरजे ने बुधवार को महाबोधि मंदिर में आयोजित सात दिवसीय काग्यू मोनलम चेन्मो पूजा में सहभागिता की। उनकी उपस्थिति से पूजा स्थल आध्यात्मिक ऊर्जा और शांति के संदेश से सराबोर हो उठा। करमापा ने सबसे पहले महाबोधि मंदिर के गर्भगृह में भगवान बुद्ध को नमन किया। मंदिर के पुजारियों ने विधिवत पूजा-अर्चना कराई और विश्व शांति व मानव कल्याण की कामना की।

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    इसके बाद करमापा पूजा स्थल पहुंचे, जहां थेरवाद और महायान परंपरा के भिक्षुओं ने उनका पारंपरिक ढंग से स्वागत किया। पूजा के तीसरे दिन पवित्र बौद्ध धर्म ग्रंथों से प्रवचन का आयोजन हुआ।

    करमापा ने तिब्बती बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ काग़्यूर धर्म ग्रंथ से बुद्ध के उपदेशों का विशेष पाठ किया। उनके प्रवचन को सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु ध्यानमग्न होकर उपस्थित रहे।

    इस अवसर पर थाईलैंड, वियतनाम, कंबोडिया, लाओस, नेपाल, तिब्बत, भूटान, अमेरिका सहित कई देशों से आए बौद्ध श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

    श्रद्धालुओं का कहना था कि बुद्ध के वचनों का यह सामूहिक पाठ न केवल आत्मिक शांति देता है, बल्कि करुणा, अहिंसा और सह-अस्तित्व का मार्ग भी दिखाता है। प्रवचन के दौरान संपूर्ण मानवता के कल्याण और विश्व शांति पर विशेष जोर दिया गया।

    उल्लेखनीय है कि काग्यू मोनलम चेन्मो पूजा का आयोजन प्रत्येक वर्ष विश्व शांति और मानव कल्याण के उद्देश्य से किया जाता है।

    यह आयोजन बोधगया को एक बार फिर वैश्विक बौद्ध आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करता है, जहां विभिन्न परंपराओं के भिक्षु और श्रद्धालु एक साथ एकत्र होते हैं।

    बताते चलें कि मंगलवार को करमापा कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बोधगया पहुंचे थे। कर्मा बौद्ध मठ में उनके अनुयायियों ने बौद्ध परंपरा के अनुसार भव्य स्वागत किया।

    श्रद्धालुओं ने एक हाथ में खादा और दूसरे हाथ से पुष्पवर्षा कर उनका अभिनंदन किया। करमापा की उपस्थिति से बोधगया में आध्यात्मिक उत्साह और श्रद्धा का वातावरण बना हुआ है।