जैन मुनि विशुद्ध सागर जी महाराज आरा से पैदल पहुंचे गयाधाम
गया गया की धरती धार्मिक दूष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। खासकर हिदू बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए गया की धरती का काफी महत्व है। प्राचीन काल से जैन मुनि बिहार में प्रवेश करते ही गया और आरा की धरती पर प्रमुख रूप से विश्राम करते रहे है।

गया : गया की धरती धार्मिक दूष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। खासकर हिदू, बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए गया की धरती का काफी महत्व है। प्राचीन काल से जैन मुनि बिहार में प्रवेश करते ही गया और आरा की धरती पर प्रमुख रूप से विश्राम करते रहे है। इन दोनों शहरों में यह परंपरा अभी कायम है। इसी क्रम में रविवार को जैन मुनि 108 श्री विशुद्ध सागर जी महाराज एक पखवारे के प्रवास पर गया पहंचे है। शहर में पहुंचते ही जैन समाज के लोगों ने उनका भव्य स्वागत श्रद्धालुओं ने किया। श्रद्धालुओं ने ने कटारी हिल रोड में जैन मुनि की आगवानी की। साथ ही गाजे-बाजे के साथ स्वागत किया गया। सकल दिगंबर जैन समाज के पुष्प एवं महिलाओं ने पारम्परिक परिधानो में माथे पर मंगल कलश लेकर स्वागत किया। वहीं गया क्लब के प्रांगण में बड़े ही धूमधाम एवं बैड-बाजे के साथ महामिलन श्रद्धालुओं ने किया। उसके बाद जैन मुनि के साथ श्रद्धालुओं ने दिगंबर जैन मंदिर पहंची। जहां आरती उतार कर स्वागत किया। मौके पर जैन समाज के अध्यक्ष पवन कुमार अजमेरा, संयोजक नरेंद्र सेठी, मीडिया प्रभारी मुन्ना सरकार जैन, अजीत काशलीवाल, अमित सेठी, हेमंत पाटनी, अजीत सेठी, अनीसा छाबड़ा आदि मौजूद थे।
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24 शिष्यों के साथ गया धाम पहुंचे जैन मुनि जैन मुनि के साथ उनके 24 शिष्य और 35 भैया जी भी है। जो सभी आरा से जैन मुनि के साथ पैदल चलकर शहर में पहुंचे है। मीडिया प्रभारी मुन्ना सरकार जैन कहा कि एक पखवारे तक जैन मुनि जैन मंदिर में रहेंगे। जहां प्रत्येक दिन प्रवचन कर लोगों को आशीर्वाद देगे। जैन मुनि के आगमन पर कई शहरों से श्रद्धालु उनके दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए शहर में पहुंचे है। जहां जैन मुनि के दर्शन एवं पूजन कर रहे है। उन्होंने कहा कि एक पखवारे तक शहर में रहने के बाद जैन मुनि राजगीर, नालांदा, पावापुरी एवं पारसनाथ के पैदल प्रस्थान करेंगे।
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आकर्षक ढंग से सजाया गया था बाजार रोड जैन मुनि के आगमन पर आकर्षक ढंग से बाजार रोड और रमना रोड को सजाया गया है। कई तोरणद्धार बने थे। साथ ही द्वार को फूलों से सजाया गया था। इसके अलावा पंचशील ध्वज एवं गुब्बारे पूरा सड़क सजाया गया था। जहां सतों के एक झलक दिखने के लिए सड़क दोनों ओर काफी संख्या में महिलाएं, पुष्प एवं बच्चे कतार में खड़े थे।
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