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    Indian Freedom Fighter: गया कलेक्ट्रेट के पास शांति देवी ने ब्रिटिश झंड़ा को जलाकर राख कर दिया था

    आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों में एक थी शांति देवी। शांति देवी ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने आंदोलनों के जरिए ब्रिटिश हुकूमत की नींद हराम कर दी थी। जिसके कारण अंग्रेजों ने उन्हें वर्षो जेल में डाल दिया था।

    By Sumita JaiswalEdited By: Updated: Sat, 07 Aug 2021 09:37 AM (IST)
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    भारतीय स्‍वतंत्रता सेनानी शांति देवी की फाइल फोटो।

    गया, जागरण संवाददाता। आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों में एक थी शांति देवी। शांति देवी ने स्वतंत्रता संग्राम में अपने आंदोलनों के जरिए ब्रिटिश हुकूमत की नींद हराम कर दी थी। जिसके कारण अंग्रेजों द्वारा उन्हें वर्षो जेल में डाल दिया गया था। शांति देवी की हिम्मत और हौसले को ब्रिटिश हुकूमत कभी डिगा नहीं पाए। उन्होंने ने गया कलेक्ट्रेट के पास ब्रिटिश झंडा में आग लगाकर जला दिया था।

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     शांति देवी बोधगया प्रखंड के मोचारिम गांव की निवासी थी। उनका विवाह बालदेव नारायण सिंह से हुआ था। मायके बोधगया प्रखंड के ही बसाड़ी गांव में था। शांति देवी राज कुमारी देवी से प्रेरित होकर स्वतंत्रता संग्राम में भाग ली थी। 1930 में ब्रिटिश झंडा जलाने पर पहली बार जेल गई थी। सात-आठ महीने जेल में रहने के बाद रिहा हो गई। उसके बाद उन्होंने नई राह पकड़ ली और स्वतंत्रता संग्राम में अपनी भूमिका को तेज कर दी।

    स्वतंत्रता संग्राम में पति का दिया साथ

    शांति देवी स्वतंत्रता संग्राम में पति बालदेव नारायण ङ्क्षसह को भी भरपूर साथ दिए। क्योंकि ब्रिटिश हुकूमत का बगावत पति भी कर रहे थे। जिसके कारण पति के साथ उन्हे कई बार जेल भी जाना पड़ा था। वहीं आजादी के बाद पहली चुनाव 1952 में बोधगया विधानसभा क्षेत्र के विधायक भी चुनी गई थी। वे दो बार विधायक रही।

    बड़े स्वतंत्रता सेनानियों के साथ आंदोलन में रही

    शांति देवी ने अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलनों में महात्मा गांधी, शत्रुध्न प्रसाद ङ्क्षसह, राजकुमारी देवी, श्रीकृष्ण ङ्क्षसह के साथ-साथ आगे रहती थी। राजकुमारी देवी के साथ कई बार जेल भी गई थी। लेकिन शांति देवी व उनके पति हमेशा ही अंग्रेजों के खिलाफ होने वालों आंदोलनों में बढ़-चढ़कर के हिस्सा लेते रहे। आजादी के बाद 1971 में शांति देवी को सरकार द्वारा सम्मानित किया गया। स्वतंत्रता सेनानी का पेंशन मिलने लगा।

    शांति देवी के पौत्र गया में कर रहे वकालत

    शांति देवी का निधन 1977 में हो गया था। उनके पौत्र धीरेंद्र नारायण ङ्क्षसह का शहर के रमना रोड में मकान है। धीरेंद्र नारायण ङ्क्षसह पेशे से अधिवक्ता है।  जहां पौत्रवधू  अर्चना सिन्हा, परपौत्र अंशुमान ङ्क्षसह एवं परपौत्रवधू आरती कुमारी के साथ रहते है। शांति देवी विधायक बनने के बाद अपनी ईमानदार छवि के कारण लोगों में जीवंत है।