वैज्ञानिक की उपस्थिति में तोड़ी गयी बोधिवृक्ष की सूखी डाल, वहां काटकर लगाया रसायनिक लेप
वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के दो वैज्ञानिक की उपस्थिति में बुधवार को बोधिवृक्ष की तीन-चार सूखी डाली को तोड़ा गया। सूखी डाली तोड़ने वाले जगह पर चौपटिया पेस्ट का लेप लगाया गया। बोधिवृक्ष के पत्ते भी पहले से बड़े हो गए हैं।
जागरण संवाददाता, गया। वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के दो वैज्ञानिक की उपस्थिति में बुधवार को बोधिवृक्ष की तीन-चार सूखी डाली को तोड़ा गया। सूखी डाली तोड़ने वाले जगह पर चौपटिया पेस्ट का लेप लगाया गया। साथ ही पूर्व से कटे टहनी वाले भाग को भी फंगस से बचाव के लिए रसायनिक लेप लगवाया गया। वैज्ञानिक डॉ. अमित पांडे व संतन वर्थवाल ने बताया कि इस बार बोधिवृक्ष के पत्ते भी पहले से बड़े हो गए हैं।
यह सब बोधिवृक्ष के पश्चिम भाग के मिट्टी में लगातार पानी का छिड़काव करने की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा कि वृक्ष के पश्चिम दिशा में एक-दो जगहों पर टहनी को मजबूती प्रदान करने के लिए स्पोट की जरूरत है। उसे लगाया जाएगा। साथ ही प्रथम चंक्रमण वाले हिस्से में कई जगह पर बोधिवृक्ष की डाली का झुकाव नीचे की ओर हो रहा है। इसे रोकने के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
पतझड़ का मौसम समाप्त होने पर पुन: एक बार बोधिवृक्ष का मुआयना किया जाएगा। पत्ते कैसे निकल रहे हैं। उसके बाद पूरे वृक्ष पर रसायनिक दवा को छिड़काव करने पर विचार किया जाएगा। महाबोधि मंदिर प्रबंधकारिणी समिति के सदस्य डॉ. अरविंद सिंह ने बताया कि वैज्ञानिक द्वय मंगलवार को बोधगया पहुंचे थे और विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर परिसर स्थित पवित्र बोधिवृक्ष का जायजा लिया था।
बोधिवृक्ष पूर्णतया स्वस्थ है। यह न सिर्फ समिति के लिए बल्कि विश्व के बौद्ध समुदाय के लिए भी प्रसन्ना की बात है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक द्वय के नेतृत्व में गुरुवार को भी बोधिवृक्ष के कई हिस्से में लेप लगाने और दवा का छिड़काव किया जाएगा। उसके बाद वैज्ञानिक द्वय यहां से प्रस्थान करेंगे। इस दौरान सचिव एन. दोरजे व भिक्षु प्रभारी भंते चालिंदा, कार्यालय सहायक गजेन्द्र कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।
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