औरंगाबाद में नक्सल प्रभावित क्षेत्र कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं पदाधिकारी, सूख गए कुएं और चापाकल
ग्रामीणों ने बताया कि सरकार का कोई भी पदाधिकारी एवं कर्मचारी सुधि लेने नहीं आते हैं। नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। पहाड़ के तलहटी में बसे इस गांव के लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। कर्मचारी जांच करने नहीं आते हैं।

संवाद सूत्र, मदनपुर (औरंगाबाद) : मदनपुर प्रखंड के दक्षिणी उमगा पंचायत के जंगलतटीय गांव बादम में लगे चापाकल वर्षों से खराब पड़े हैं। कारण यहां के लोगों को गर्मी में भी पानी नहीं मिल रहा है। पानी का अभाव यहां ग्रामीणों को खटक रहा है। गांव के अगल-बगल से पानी लाकर ग्रामीण सूखते कंठ को भिंगाने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रामीण यमुना रिकियासन, संजय रिकियासन एवं विजय भुइंया के घर के पास लगा चापाकल सिर्फ शोभा की वस्तु बन कर रह गया है। साथ ही संजय भुइयां के घर के पास कुआं सूखा पड़ा है। ग्रामीण तुलसी रिकियासन, बलिंद्र रिकियासन, ललन रिकियासन, विजय रिकियासन, उपेंद्र सिंह भोगता, सत्येंद्र सिंह भोगता ने बताया कि सरकार का कोई भी पदाधिकारी एवं कर्मचारी सुधि लेने नहीं आते हैं।
नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्र कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। पहाड़ के तलहटी में बसे इस गांव के लोगों को सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। कर्मचारी क्षेत्र में मुआयना एवं जांच करने नहीं आते हैं। प्रमुख प्रतिनिधि सत्येंद्र यादव ने बताया कि खराब पड़े चापाकल एवं कुआं का रिपोर्ट मांगा गया है। दक्षिणी उमगा पंचायत अंतर्गत गांव एवं टोले के खराब चापाकलो एवं कुआं का रिपोर्ट जब-जब मांगा गया तत्कालीन पंचायत सचिव को उपलब्ध कराया गया है।
बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। बीडीओ कुमुद रंजन ने बताया कि खराब पड़े चापाकलों का रिपोर्ट पीएचडी विभाग को दिया गया है। खराब पड़े चापाकलों की मरम्मत का कार्य प्रखंड क्षेत्र के गांव में चल रहा है।
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