गुरपा पर्वत की शांत वादियां फिर हुई जीवंत, विदेशी पर्यटकों और बौद्ध भिक्षुओं की बढ़ी आवाजाही
गया जिले में स्थित गुरपा पर्वत, जिसे कुक्कुट पद गिरी भी कहते हैं, विदेशी पर्यटकों के आने से फिर से जीवंत हो गया है। यह हिंदू और बौद्ध धर्म के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध के शिष्य महाकश्यप ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था। पर्यटकों को यहां कुछ बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ता है, लेकिन स्थानीय लोगों का मानना है कि विकास से यह स्थान अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर आ सकता है।

गुरपा पर्वत की शांत वादियां फिर हुई जीवंत
संवाद सूत्र, फतेहपुर (गया)।बिहार के गया जिले में स्थित प्राचीन गुरपा पर्वत, जिसे ऐतिहासिक रूप से कुक्कुट पद गिरी के नाम से जाना जाता है, इन दिनों विदेशी पर्यटकों की आमद से एक बार फिर रौनक से भर उठा है। जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर और झारखंड सीमा के नजदीक स्थित यह पर्वत हिंदू और बौद्ध, दोनों धर्मों के श्रद्धालुओं के लिए समान रूप से आस्था का प्रमुख केंद्र है। मान्यता है कि यहीं भगवान बुद्ध के अंतिम शिष्य महाकश्यप ने गुफा में समाधि लगाई थी और यहीं उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ।
धार्मिक इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम होने के कारण गुरपा पर्वत वर्षों से देशी-विदेशी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है।
पहाड़ की तलहटी में स्थित गुरु पद मंदिर, जहां भगवान विष्णु के चरण चिह्न होने की मान्यता है, हिंदू श्रद्धालुओं को विशेष रूप से आकर्षित करता है।
वहीं महाकश्यप गुफा, तपस्थली और बौद्ध परंपराओं से जुड़े प्राचीन अवशेष बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं।
पर्यटन सीजन शुरू होते ही बोधगया आने वाले विदेशी बौद्ध श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में गुरपा की ओर रुख करना शुरू कर दिया है।
कई देशों से आए भिक्षु पहाड़ की चोटी पर घंटों तक ध्यान-साधना में लीन दिखते हैं। उनके मुख से गूंजते 'बुद्धं शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि' जैसे पवित्र मंत्र पूरे वातावरण को आध्यात्मिक बना देते हैं और पर्वत की सहस्त्राब्दियों पुरानी तपोभूमि को पुनः जीवंत कर देते हैं।
प्रकृति के बीच स्थित कुक्कुट पद गिरी से सूर्योदय और सूर्यास्त का दृश्य इतना मोहक होता है कि यहां पहुंचने वाला हर पर्यटक इसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाता है।
यही कारण है कि नवंबर से फरवरी तक पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।
हालांकि बढ़ती लोकप्रियता के बीच गुरपा आने वाले पर्यटकों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। गुरपा रेलवे स्टेशन से पर्वत तक का रास्ता घने जंगलों और ऊबड़-खाबड़ पगडंडियों से होकर गुजरता है।
विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ने के बावजूद सुरक्षा, सड़क, संकेतक बोर्ड, विश्राम स्थल, शौचालय और प्राथमिक चिकित्सा जैसी बुनियादी सुविधाओं का विकास अब तक नहीं हो पाया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर सरकार यहां रोड, लाइटिंग, सुरक्षा व्यवस्था और पर्यटन सुविधाओं का विकास करे, तो गुरपा पर्वत अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर और भी मजबूती से पहचान बना सकता है।
बिहार के धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यह स्थान स्वर्ण अवसर सरीखा साबित हो सकता है।

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