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    16 साल बाद जिंदा लौटी लड़की, अदालत में खुला राज!

    By Neeraj Kumar Edited By: Vyas Chandra
    Updated: Fri, 17 Oct 2025 09:12 PM (IST)

    16 साल पहले मृत घोषित की गई एक लड़की के अदालत में पेश होने से सनसनी फैल गई। इस अप्रत्याशित घटना ने एक पुराने मामले को फिर से खोल दिया है, जिससे कई अनसुलझे सवाल सामने आए हैं। अदालत ने गहन जांच के आदेश दिए हैं, और समुदाय इस रहस्यमय घटना की सच्चाई जानने के लिए उत्सुक है।

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    संवाद सूत्र, गया। जिस युवती को पुलिस ने 16 वर्ष पूर्व मृत करार दिया था, वह कोर्ट पहुंच गई। चौंकानेवाला यह मामला गया जिले के बाराचट्टी थाना क्षेत्र का है। वर्ष 2009 में अपहरण मामले में उसके भाई ने गांव के रउफ अंसारी व रंगीला यादव पर अपहरण की एफआइआर कराई थी। बरामदगी में असफल रहने पर पुलिस ने एक शव बरामद कर उसे युवती का बताते हुए अपहरण के मामले को हत्‍या में तब्‍दील कर चार्जशीट भी समर्पित कर दिया। अब लड़की ने कोर्ट में उपस्‍थ‍ित होकर अपहरण से इंकार कर दिया है। 

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    थाना कांड संख्‍या 05/ 2009 में एक किशोरी के अपहरण का मामला उसके भाई ने दर्ज कराया था। पुलिस ने जांच शुरू की। इसी क्रम में एक नदी से जलता हुआ शव बरामद किया। इसे उस युवती का बताते हुए अपहरण कांड की धारा को परिवर्तित करते हुए हत्या की धारा 302 आइपीसी में चार्जशीट 11 अप्रैल 2009 को आरोपियों के विरुद्ध न्यायालय में समर्पित कर दिया। इसका सेशन ट्रायल अपर जिला सत्र न्यायधीश लवकुश कुमार के न्यायालय में चल रहा है। शुक्रवार को युवती न्यायालय में उपस्थित हुई। उसने कहा कि उसका अपहरण नहीं हुआ था। यह भी बताया कि आरोपित रउफ अंसारी से उसने शादी कर ली थी।

    युवती ने बताया कि वह नौवीं में पढ़ती थी जब उसके स्‍वजन बड़ी उम्र के लड़के से शादी करना चाहते थे। इसके बाद उसने रउफ से शादी कर ली। पुलिस का दबाव पड़ने के कारण पति ने कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। तब वह रऊफ के बहन के घर थी। पुलिस को भी जिंदा होने की सूचना दी थी, लेकिन पुलिस नहीं मानी ।उ समें न्यायालय में बोली कि झूठा मुकदमा किया गया है। रंगीला यादव से मुझे या मेरे पति का कोई मतलब नहीं है। पति को मुकदमा से मुक्ति की चाहती हूं। सबसे आश्चर्य की बात है कि प्राथमिकी 2 जनवरी 2009 को हुई थी । उसके बाद पर्यवेक्षण हुआ । पुलिस अधीक्षक के प्रतिवेदन दो के बाद चार्जशीट दाखिल हुआ। अनुसंधान पर प्रश्न चिन्ह खड़ा होता है कि कैसे एक जीवित युवती को हत्या करार देने के आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया?