Bihar Election: बिहार की इस सीट पर भाजपा और कांग्रेस के बीच होगी जोरदार टक्कर, जनसुराज ने दिलचस्प किया मुकाबला
गया शहरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा 35 वर्षों से कार्यरत है। आगामी चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है, जिसे जन सुराज ने दिलचस्प बना दिया है। भाजपा 1990 से लगातार जीतती आ रही है, जिसका कारण एनडीए गठबंधन है। कांग्रेस इस बार महागठबंधन के साथ मुकाबले में है। जन सुराज के प्रत्याशी पहले भाजपा से जुड़े रहे हैं, जिससे मुकाबला रोचक हो गया है।
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प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई फाइल फोटो। (जागरण)
कमल नयन, गयाजी। मगध की हृदयस्थली गया शहरी विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी 35 वर्षों से जनप्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रही है।
11 नवम्बर को होने वाला चुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन नवगठित जन सुराज ने इस मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है। दोनों दलों के बीच जन सुराज की उपस्थिति एक-दूसरे को शह और मात देने के लिए काफी है।
गया शहरी विधानसभा क्षेत्र में भाजपा की विजय यात्रा 1990 से प्रारंभ हुई। यह यात्रा 1990 से लेकर 2020 तक कांग्रेस, सीपीआई के साथ-साथ राजद को भी मात दी। भाजपा के विधायक ने विभिन्न दलों को पराजित करते हुए 35 वर्षों से गया शहरी विधानसभा का प्रतिनिधित्व लगातार कर रहे हैं।
इसके पीछे इनके विजयी यात्रा का फंडा एनडीए के गठबंधन का है और साथ ही साथ भाजपा का अपना कैडर वोट भी है। चालू विधानसभा के चुनाव में भाजपा को इस बार सीधा मुकाबला कांग्रेस के प्रत्याशी से है।
पिछले दिनों कांग्रेस पार्टी शहरी क्षेत्र में भाजपा से कई बार मात खा चुकी है। लेकिन इस बार दमखम के साथ सीधे मुकाबले के लिए कांग्रेस तैयार दिखती है। इसके लिए पार्टी के द्वारा अपने एजेंडे के साथ-साथ राहुल गांधी के संदेश और तेजस्वी के मुख्यमंत्री बनाए जाने की बात को लेकर महागठबंधन की यह पार्टी जोर लगाए हुए है।
रह-रहकर स्थानीय मुद्दे के भी इन दोनों के चुनाव प्रचार में आ जाते हैं। जो कभी-कभी आरोप-प्रत्यारोप के रूप में मतदाताओं के बीच आने लगे हैं।
जनसुराज ने दिलचस्प बनाया मुकाबला
सबसे दिलचस्प बात यह है कि भाजपा और कांग्रेस के सीधे मुकाबले को जन सुराज ने काफी दिलचस्प बना दिया है। शहरी मतदाता के साथ-साथ दोनों पार्टियों के भी नजर उसी के वोट बैंक पर है।
यह साफ कहा जा रहा है कि जन सुराज जितना अधिक वोट लाएगा, उससे हार का जीत का फैसला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही होगा। जन सुराज के प्रत्याशी गया शहर के लिए कोई नया नाम नहीं है। वे भारतीय जनता पार्टी के विरासत के नीचे अपनी राजनीति शुरू की। पड़ोस के चतरा संसदीय क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं।
पहली बार 1985 में गया शहरी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में उनकी पैठ गया के मतदाताओं पर दिखती है। अब आने वाला मतदान ही बताएगा कि भाजपा और कांग्रेस के बीच जन सुराज अपनी क्या अहमियत छोड़ पाती है।
शहरी विधानसभा में कुल मतदाता 2 लाख 79 हजार 287 है। इसमें 1 लाख 45 हजार 270 पुरुष, 1 लाख 34 हजार 14 महिला एवं 3 थर्ड जेंडर शामिल हैं।

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