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    ज्ञान की भूमि पर मन विचलित करने का खेल, सरकारी भूमि पर उगा रहे जहर

    Updated: Wed, 03 Dec 2025 03:36 PM (IST)

    गया जिले के बाराचट्टी में अफीम की अवैध खेती तेजी से बढ़ रही है। तस्कर गरीबी का फायदा उठाकर ग्रामीणों को शामिल करते हैं। चेकडैम सिंचाई का मुख्य स्रोत ब ...और पढ़ें

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    अफीम की खेती और तस्करी पर लगातार दबाव

    संवाद सूत्र, बाराचट्टी (गया)। गया जिले के बाराचट्टी और धनगांई थाना क्षेत्र में अवैध अफीम की खेती और तस्करी लगातार फैल रही है। भलुआ, जयगीर, बुमेर और पतलुका पंचायतों की तराई और जंगलों में सीमावर्ती दुर्गम पहाड़ियां, घने जंगल और प्रशासन की उदासीनता ने इस इलाके को नशा कारोबारियों का सुरक्षित गढ़ बना दिया है। सरकारी वनभूमि हो या ग्रामीणों की रैयती जमीन, कई जगह माफियाओं ने कब्जा कर बड़े पैमाने पर खेती शुरू कर दी है।

    ग्रामीणों का कहना है कि गरीबी, बेरोजगारी और अशिक्षा का फायदा उठाकर बाहरी तस्कर स्थानीय परिवारों को मजदूरी का लालच देकर इस अवैध धंधे में लगा देते हैं।

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    कई ग्रामीण अनजाने में शामिल हो जाते हैं और जब पुलिस विनष्टिकरण अभियान चलाती है, तो इन्हीं गरीबों पर एनडीपीएस एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज होती है।

    असली सरगना परतों के पीछे छिपा रहता है और गिरफ्तारी से दूर रहता है। यही स्थिति प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़ा करती है।

    चेकडैम और बांध माफियाओं की लाइफलाइन

    ग्रामीणों के लिए बनाए गए चेकडैम और छोटे बांध अब अफीम की अवैध खेती का मुख्य आधार बन चुके हैं।

    रात के अंधेरे में झारखंड और यूपी से आने वाले माफिया गिरोह अवैध बिजली, पंपसेट और जनरेटर की मदद से खेतों की सिंचाई करवाते हैं।

    कई जगह अवैध बिजली लाइनें भी खींची गई हैं। आधुनिक कीटनाशक, दवाओं और वैज्ञानिक तरीकों से खेती को संचालित किया जाता है, जिससे उत्पादन कई गुना बढ़ गया है।

    डोडा, अफीम और डोडा चूर्ण, काला कारोबार

    अफीम तैयार होने पर (डोडा फल) से दूध निकाला जाता है, जो सबसे महंगा नशा पदार्थ है। इसके बाद डोडा और पौधों को सुखाकर डोडा चूर्ण बनाया जाता है।

    डोडा फल के अदंर ही पोस्ता दाना होता है जिसे फल के सुखने पर निकाला जाता है।

    ग्रामीणों के अनुसार


    1 क्विंटल डोडा चूर्ण के लिए 25 सौ से 3 हजार पौधों की जरूरत होती है। ये पौधे लगभग एक बीघा जमीन में उगाए जाते हैं।
    भलुआ, जयगीर, बुमेर और पतलुका के जंगलों में सैकड़ों एकड़ भूमि पर खेती होती है। हर सीजन में लगभग सौ क्विंटल से अधिक डोडा चूर्ण तैयार होता है।

    यह करोड़ों रुपये का अवैध कारोबार है, जो बिहार, झारखंड, यूपी, पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश और बंगाल तक फैले नेटवर्क से संचालित होता है।

    पुलिस कार्रवाई के आंकड़े

    बाराचट्टी थाना क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में कई बड़ी गिरफ्तारी हुई हैं।

    • 2015 : राजस्थान के कृष्णा राम और गोपी लाल को बाराचट्टी से 7 किलो अफीम के साथ गिरफ्तार किया गया; मुकदमा और सजा हुई।
    • 2017 : मोहन्पुर के रंजन कुमार को चांदो गांव के पास आधा किलो अफीम के साथ पकड़ा गया; वह दूसरे राज्यों में बेचने के लिए अफीम खरीदता था।
    • 2019 : नारे (बाराचट्टी) गांव से चार तस्कर 28 किलो अफीम के साथ गिरफ्तार हुए।
    • 2022 : कृष्णा कुमार और पप्पू कुमार, धनावां गांव, बुमेर पंचायत से 5 किलो तरल अफीम, 400 ग्राम डोडा और नकद बरामद।
    • 2024/2025 : प्रवेश यादव को बाराचट्टी पुलिस ने गिरफ्तार किया; उनके घर से 15 किलो डोडा और डिजिटल तराजू बरामद।


    इतना ही नहीं, बाराचट्टी और झारखंड के चौपारण थाना क्षेत्र के दनुआ से आमस थाना क्षेत्र तक अधिकांश लाइन होटल पंजाब, हरियाणा, उड़ीसा सहित अन्य राज्यों के तस्करों द्वारा संचालित किए जाते हैं।

    होटल के माध्यम से ट्रक चालकों द्वारा डोडा, डोडा चूर्ण और अफीम का ट्रांसपोर्ट किया जाता है।

    बीते मंगलवार की बड़ी कार्रवाई

    पुलिस ने हाल ही में फिर बड़ी कार्रवाई की। बीते मंगलवार को बाराचट्टी थाना क्षेत्र के पिपराही और सिसियातरी गांव के जंगलों में शेरघाटी अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजय प्रसाद और पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष अमरेंद्र किशोर के नेतृत्व में अर्द्धसैनिक बल व नारकोटिक विभाग की संयुक्त टीम ने 1 एकड़ 25 डिसमील भूमि पर लगी अफीम की फसल को जेसीबी मशीन से नष्ट किया।

    अधिकारीयों ने बताया कि यह कार्रवाई इलाके में बढ़ती अफीम की अवैध खेती और तस्करी को रोकने के लिए की गई। ग्रामीणों ने भी इसे स्वागत योग्य बताया और कहा कि इस तरह की कार्रवाई माफियाओं पर दबाव बढ़ाएगी।

    तकनीकी और संयुक्त कार्रवाई जरूरी

    विशेषज्ञों और ग्रामीणों का कहना है कि परंपरागत पुलिस कार्रवाई से नेटवर्क खत्म नहीं होगा। इसके लिए आवश्यक है—

    • बीहड़ और जंगली इलाकों में ड्रोन सर्वे
    • पुलिस, वन विभाग और एसटीएफ की संयुक्त टीमें
    • चेकडैम, नहर और बांध की सुरक्षा
    • अवैध बिजली कनेक्शन पर तत्काल रोक
    • अंतरराज्यीय तस्करों की पहचान और गिरफ्तारी
    • सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के विशेष अभियान
    • पोस्ता दाना और खेती की जानकारी


    पोस्ता दाना स्थानीय स्तर पर ₹1,280–₹1,350 प्रति किलो बिक रहा है। 8 से 10 किलो पोस्ता दाना उत्पादन के लिए 1 कट्ठा जमीन की आवश्यकता होती है।


    यदि समय रहते कठोर और व्यापक कार्रवाई नहीं हुई, तो यह इलाका पूर्वी भारत का सबसे बड़ा अवैध अफीम उत्पादन केंद्र बन सकता है।

    गरीब ग्रामीण लगातार माफियाओं के जाल में फंसते रहेंगे, जबकि असली तस्कर संरक्षित रहेंगे।