Bihar Politics: इस सीट पर महागठबंधन के 3 दावेदार, NDA में भी टिकट की खींचतान; लोजपा और वाम दल भी सक्रिय
गया जिले के बाराचट्टी सीट पर चुनावी सरगर्मी तेज है। महागठबंधन एनडीए और लोजपा (रामविलास) में टिकट के लिए ज़ोर-आजमाइश चल रही है। माले और जनसुराज पार्टी भी सक्रिय हैं। जनता विकास शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार जैसे मुद्दों पर ठोस काम करने वाले उम्मीदवार को चाहती है। युवा मतदाता जाति से ऊपर उठकर विकास को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं।

अमित कुमार सिंह, बाराचट्टी (गया)। जैसे-जैसे बिहार विधानसभा चुनाव की दस्तक नजदीक आ रही है, गया जिले की बाराचट्टी सुरक्षित एससी सीट पर राजनीतिक सरगर्मी तेज होती जा रही है। चौक-चौराहों से लेकर पंचायतों की बैठकों तक एक ही चर्चा छाई हुई है इस बार किसे मिलेगा टिकट? दलों के भीतर जोड़तोड़ और दबाव की राजनीति चरम पर है, जबकि जनता उम्मीदवार से ज्यादा विकास और ईमानदारी पर निगाहें गड़ाए बैठी है।
महागठबंधन में खींचतान
पिछले चुनाव में यह सीट महागठबंधन के हिस्से में आई थी। हालांकि तब की उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। अब एक बार फिर पार्टी के भीतर टिकट को लेकर रस्साकशी चल रही है। सूत्रों की मानें तो यहां कम से कम तीन दावेदार सक्रिय हैं।
इनमें एक पारिवारिक विरासत से जुड़े चेहरे हैं, जबकि अन्य वे कार्यकर्ता हैं जिन्होंने संगठन में वर्षों से पसीना बहाया है। राजद खेमे में बहस इस बात पर है कि क्या वफादार कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाएगी या फिर राजनीतिक परिवारों की परंपरा को आगे बढ़ाया जाएगा।
एनडीए में टिकट की खींचतान
यह सीट वर्तमान में एनडीए के एक घटक दल के पास है। मौजूदा विधायक दोबारा दावेदारी कर रही हैं। लेकिन भाजपा और जदयू के स्थानीय नेता भी इस सीट को लेकर सक्रिय हैं। एनडीए खेमे से करीब तीन चेहरे टिकट की दौड़ में बताए जा रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि इनमें से कुछ ने पटना से लेकर दिल्ली तक संपर्क साधकर दबाव बनाने की कोशिश तेज कर दी है।
लोजपा (रामविलास) की तैयारी
लोजपा (रामविलास) भी बाराचट्टी में अपनी पुरानी पकड़ मजबूत करने की रणनीति में है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, यहां भी तीन प्रमुख दावेदार चर्चा में हैं। इनमें कोई स्थानीय स्तर पर लंबे समय से सक्रिय है, कोई सामाजिक कार्यों के लिए जाना जाता है और एक पारिवारिक पृष्ठभूमि से आता है। पार्टी चाहती है कि इस बार ऐसा उम्मीदवार उतारा जाए, जो युवा वोटरों को साध सके।
माले और जनसुराज की सक्रियता
महागठबंधन के भीतर वामपंथी दल माले भी इस सीट पर दावेदारी जाता रहा है। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी की ओर से एक नया चेहरा सामने है, जिसे वैचारिक राजनीति और छात्र आंदोलन से जोड़कर प्रचारित किया जा रहा है।
वहीं, जनसुराज पार्टी ने भी इलाके में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। इस दल से तीन नाम टिकट की दौड़ में हैं, जो लगातार क्षेत्र भ्रमण कर रहे हैं। गांव-गांव जाकर वे लोगों के सुख-दुख में शामिल होने और एक नए विकल्प के रूप में सामने आने की कोशिश कर रहे हैं।
जनता कह रही: चेहरा नहीं, चरित्र चाहिए
हलांकि, दल टिकट के लिए जोड़तोड़ में लगे हैं, मगर जनता की प्राथमिकता कुछ और है। ग्रामीण इलाकों में चर्चा करते लोग कहते हैं कि उन्हें अब जात-पात या परिवारवाद से मतलब नहीं, बल्कि ऐसा उम्मीदवार चाहिए जो सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार जैसे मुद्दों पर ठोस काम करे।
युवा मतदाता तो साफ शब्दों में कहते हैं कि वे वोट देते समय जाति से ऊपर उठकर विकास को देखेंगे। यही वजह है कि इस बार जनता के मूड को समझना हर दल के लिए चुनौती बन गया है।
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