Gaya: मिट्टी के दीए जलाने से बढ़ेंगे रोजगार, कई घरों में आयेंगी खुशियां, अधिकारियों ने बताया दीये का महत्व
दीपावली रोशनी रोजगार और उत्साह का पर्व है। घर बाजार और हर क्षेत्र में अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाने का पर्व दीपावली है। इस त्योहार से सबसे ज्यादा स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है। त्योहार से हर तबके के लोग जुड़ते हैं। पूरी लग्न से मिट्टी के दीए बनाते हैं।
जागरण संवाददाता, गया: दीपावली रोशनी, रोजगार और उत्साह का पर्व है। घर, बाजार और हर क्षेत्र में अंधकार को मिटाकर प्रकाश फैलाने का पर्व दीपावली है। इस त्योहार से सबसे ज्यादा स्वरोजगार को बढ़ावा मिलता है। त्योहार से हर तबके के लोग जुड़ते हैं। पूरी लग्न और निष्ठा व कठिन परिश्रम से मिट्टी के दीए बनाते हैं। ताकि दूसरों के घरों में फैले अंधकार को मिटाकर प्रकाशमान बनाया जाए। आइए, इस दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाने का संकल्प लें। स्वदेशी मिट्टी के दीए को जलाकर खुशियां मनाएं।
लघु और कुटीर उद्योग के साथ रोजगार को बढ़ावा
वरीय पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर ने बताया कि मेरा पूरा परिवार और संगे संबंधी बचपन से हीं मिट्टी के दीए दीपावली में जलाते हैं। मिट्टी के दीए खरीदने और घरों जलाने से एक समाज विशेष को रोजगार का अवसर मिलता है। उनके घरों में खुशियां आती है। साथ हीं पर्यावरण का भी संतुलन बना रहता है।उन्होंने सभी लोगों से अपील की है कि दीपावली में अपने-अपने घरों में मिट्टी दीए जलाकर लोकल रोजगार को बढ़ावा दें।
मिट्टी के दीए से अपनापन का एहसास
आईएएस सह गया नगर निगम के आयुक्त अभिलाषा शर्मा ने बताया कि बचपन में मिट्टी के दीए जलाते थे। उस परंपरा का आज भी जीवंत रखे हुए हैं। चूंकि मिट्टी के दीए बनाने वाले लोग अपने आसपास और जिले के होते हैं। दीए को स्पर्श करने और खरीदने के बाद अपनापन का एहसास होता है। मिट्टी दीए खरीदकर जब घर लाते हैं। भारतीय परंपरा के अनुसार उसे दीए में तेल भरकर दीपक जलाते हैं, तो सुखद और शांति की अनुभूति होती है। घर में शांति और अपनापन के एहसास के लिए इस बार सभी लोग दीपावली पर मिट्टी के दीए जलाएंगे। दूसरों को भी प्रेरित करें।
भारतीय संस्कृति के द्योतक हैं मिट्टी के दीए
बाल विकास परियोजना विभाग के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी भारती प्रियम्बदा बताती है कि सदियों से मिट्टी के दीए जलाते आ रहे हैं। पूरे परिवार के साथ दीपावली में मिट्टी के दीए जलाएंगे। दूसरों को प्रेरित करेंगे। दीए में सरसों के तेल से घरों में दीपक जलाते हैं। दीपक जलते ही प्रकाश फैल जाता है। इससे शांति की अनुभूति होती है।
उम्मीद की रौशनी है मिट्टी के दीये
शिक्षा विभाग के जिला प्रोग्राम पदाधिकारी माध्यमिक प्रिया भारती बताती हैं कि दीपक रौशनी का प्रतीक है। मिट्टी का दीपक हमारी परंपरा के साथ-साथ उम्मीद की रौशनी को भी घोषित करता है। यह आर्थिक रूप से प्रजापति समाज को संबल और मजबूत बनाता है। यह इको फ्रेंडली है। दीपावली के पूर्व हानिकारक कीट पतंगों की संख्या काफी बढ़ जाती है। घरों में मिट्टी के दीपक जलाने से हानिकारक कीट पतंग नष्ट हो जाते हैं। मिट्टी का दीपक जलाने से वातावरण भी शुद्ध हो जाता है। मन शांत रहता है। जिस स्थल पर मिट्टी की दीपक जलाए जाते हैं, वहां की सुंदरता बढ़ जाती है। आइए, मिलकर मिट्टी के दीए जलाएं। समाज, राज्य और राष्ट्र को स्वरोजगार में सामर्थ बनाएं।