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    गयाजी शहरी सीट पर चुनावी उबाल: चाय की चुस्की में छलक रहा सियासी समीकरण, प्रत्याशियों को लेकर सस्पेंस

    By Subhash KumarEdited By: Rajat Mourya
    Updated: Fri, 10 Oct 2025 02:47 PM (IST)

    गयाजी शहर में चुनावी माहौल गरमा गया है। चाय की दुकानों पर राजनीतिक चर्चाएं ज़ोरों पर हैं, जहां लोग एनडीए और महागठबंधन की संभावनाओं पर बात कर रहे हैं। कांग्रेस में टिकट को लेकर घमासान है, वहीं जन सुराज पार्टी एक बड़ा सस्पेंस फैक्टर बनी हुई है। इस बार का चुनाव रणनीति और भरोसे का युद्ध होगा। उम्मीदवारों की घोषणा के बाद यह चर्चा मतदान में बदल जाएगी।

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    सुभाष कुमार, गयाजी। गयाजी शहर की सुबहें अब सिर्फ चाय की भाप से नहीं, बल्कि राजनीति की गर्मी से भी धधक रही हैं। विधानसभा चुनाव की तारीख तय होते ही शहरी सीट पर सरगर्मी इतनी बढ़ गई है कि हर नुक्कड़, हर गली और हर चाय की दुकान अब चुनावी चौपाल में बदल चुकी है। लोगों के होंठ भले चाय से भीग रहे हों, लेकिन उनकी जबान पर बस एक ही सवाल है कि इस बार किसका होगा खेल?

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    स्टेशन रोड से डेल्हा तक… हर दुकान बना मिनी न्यूजरूम:

    स्टेशन रोड स्थित रमेश टी स्टॉल पर बैठे बुजुर्ग सीधे कहते हैं कि गयाजी शहरी सीट पर इस बार भी एनडीए की जीत तय है। वहीं डेल्हा के युवाओं की राय बिल्कुल उलट महागठबंधन की वापसी होगी, बदलाव का समय आ गया है।

    काशीनाथ मोड़ और टावर चौक के स्टाल्स पर तो बाकायदा ‘ओपन डिबेट’ चल रहा है। एसएसपी कार्यालय के पास मशहूर ‘मतभूखन चाय दुकान’ में तो हालत यह है कि हर कप चाय के साथ एक-एक एग्जिट पोल मुफ्त दिया जा रहा है!

    इसी दुकान के मालिक पिंटू चंद्रवंशी ताल ठोंककर कहते हैं भाजपा से डॉ. प्रेम कुमार का नाम लगभग तय है। जनता उन्हें विकास के चेहरे के रूप में देखती है। जदयू नेता गोपाल प्रसाद भी समर्थन में जोड़ते हैं,यह सीट बरसों से एनडीए के खाते में है, इस बार भी रहेगा।

    कांग्रेस में घमासान: मोहन श्रीवास्तव बनाम नैना कुमारी गुप्ता:

    महागठबंधन खेमे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि टिकट किसे मिलेगा? पार्टी के भीतर दो नाम सबसे ज़्यादा सुर्खियों में हैं। जिला परिषद अध्यक्ष नैना कुमारी गुप्ता और पूर्व प्रत्याशी मोहन श्रीवास्तव। कांग्रेस कार्यकर्ता युगल किशोर का कहना की उच्च नेतृत्व मोहन जी को मौका देगा। वहीं, धीरेंद्र सिंह की राय अलग राहुल गांधी इस बार पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी को तरजीह देंगे।

    इतना ही नहीं, जैसे ही पार्टी समर्थक राजीव कुमार सिंह उर्फ लबी चंद्रवंशी चाय दुकान में पहुंचे, माहौल और गर्म हो गया। उनका सीधा दावा कि शहरी सीट पर इस बार परिवर्तन तय है, कांग्रेस ही जीतेगी!

    जन सुराज बना सबसे बड़ा ‘सस्पेंस फैक्टर’

    सबकी निगाहें अब जन सुराज पार्टी पर टिक गई हैं। लोगों का अनुमान है कि यदि इस पार्टी ने कोई मजबूत चेहरा उतार दिया, तो मुकाबला त्रिकोणीय होगा और चुनाव का मज़ा दुगना। पहलाद राऊत चाय की चुस्की लेते हुए कहते हैं कि इस बार बिहार में परिवर्तन होगा, सरकार बदलेगी। तो वहीं एनडीए समर्थक अमर रजक और पवन चंद्रवंशी हंसते हुए जवाब देते हैं कि छठ के बाद दिवाली होगी, नीतीश कुमार ही फिर मुख्यमंत्री बनेंगे।

    रणनीति बनाम भरोसा, यही होगा असली मुकाबला:

    गयाजी की गलियों में चर्चा यह भी है कि अबकी बार चुनाव सिर्फ वोट का नहीं, बल्कि रणनीति और भरोसे का युद्ध होगा। किसने बूथ स्तर पर नेटवर्क मजबूत किया, किसने जनता को भरोसा दिलाया। जीत उसी की होगी। टिकटों की घोषणा होते ही ‘गरम चाय’ चुनावी उबाल बन जाएगी

    फिलहाल चाय की दुकानों में चर्चा चल रही है, लेकिन जैसे ही पार्टियां आधिकारिक तौर पर उम्मीदवार घोषित करेंगी, यह चर्चा सीधे मतदाता मन के मतदान में बदल जाएगी।

    गयाजी में इस बार चुनाव सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि चाय की मेज पर चलने वाली सबसे लंबी और रोचक राजनीतिक श्रृंखला बन चुका है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे टिकट तय होंगे, वैसे-वैसे शहर की हवा में बस एक ही खुशबू होगी। चाय, चुनाव और चर्चा!