गयाजी में कुत्तों का बढ़ता कहर: 12 महीनों में 21511 लोग हुए शिकार, रोजाना 70-80 मरीज पहुंच रहे सदर अस्पताल
गयाजी में कुत्तों का आतंक बढ़ गया है। पिछले एक साल में 21511 लोग कुत्तों के शिकार हुए हैं। सदर अस्पताल में हर दिन 70-80 मरीज एंटी-रेबीज इंजेक्शन के लिए आ रहे हैं। आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या से लोग परेशान हैं, और नगर निगम इस समस्या को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है।

सुभाष कुमार, गयाजी। गयाजी शहर इस समय आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक से जूझ रहा है। गलियों से लेकर मुख्य बाजारों तक कुत्तों का झुंड खुलेआम घूमता नजर आता है, जिससे लोगों में दहशत का माहौल है। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि जेपीएन सदर अस्पताल में रोजाना 70-80 मरीज एंटी रेबीज वैक्सीन लेने पहुच रहे हैं। इनमें छोटे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग और दफ्तर आने-जाने वाले लोग बड़ी संख्या में शामिल हैं।
अस्पताल के आंकड़े शहर की स्थिति को और भयावह रूप में सामने लाते हैं। नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 के बीच कुल 21,511 लोग कुत्तों के काटने का शिकार बने।
डॉक्टरों का कहना है कि सामान्य वर्षों की तुलना में यह आंकड़ा लगभग दोगुना है, जो आवारा कुत्तों की बढ़ती संख्या और प्रशासनिक लापरवाही की ओर इशारा करता है। सबसे चिंता की बात यह है कि इसमें लगभग 40 फीसदी केस 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के हैं। स्कूल जाते समय, खेलते-कूदते या गली से गुजरते समय बच्चे सबसे ज्यादा कुत्तों के निशाने पर आ रहे हैं।
वैक्सीन की खपत में तेज उछाल, अस्पताल पर बढ़ा दबाव:
जेपीएन सदर अस्पताल के प्रबंधक संजय कुमार अंबष्ट बताते हैं कि हर दिन आने वाले इतने मरीजों के कारण एंटी रेबीज वैक्सीन की मांग अचानक बढ़ गई है। कई बार अस्पताल को अतिरिक्त स्टाक मंगवाना पड़ता है ताकि मरीजों को वैक्सीन लेने में कोई दिक्कत न हो। चिकित्सकों के अनुसार, रेबीज संक्रमण जानलेवा होता है, इसलिए समय पर टीका लगवाना बेहद आवश्यक है।
12 महीनों का वैक्सीन डेटा स्पष्ट करता है खतरे का स्तर:
नवंबर 2024 से अक्टूबर 2025 तक हर महीने आए मरीजों की संख्या इस प्रकार है-
| माह | मान |
|---|---|
| नवंबर 2024 | 1601 |
| दिसंबर 2024 | 1926 |
| जनवरी 2025 | 2204 |
| फरवरी 2025 | 2128 |
| मार्च 2025 | 2155 |
| अप्रैल 2025 | 1952 |
| मई 2025 | 1732 |
| जून 2025 | 1406 |
| जुलाई 2025 | 1720 |
| अगस्त 2025 | 1551 |
| सितंबर 2025 | 1655 |
| अक्टूबर 2025 | 1481 |
इन आंकड़ों से साफ है कि गयाजी में कुत्तों के काटने की घटनाएं पूरे साल उच्च स्तर पर बनी रहीं।
शहर के हॉटस्पोर्ट क्षेत्र चिह्नित:
गयाजी के कई इलाकों में कुत्तों का आतंक ज्यादा देखने को मिल रहा है। बागेश्वरी रोड, रामधनपुर, बैरागी, डेल्हा, खरखुरा, बाईपास रोड, विष्णुपद क्षेत्र, चांदचौरा चौक, गेवाल बिगहा, एपी कालोनी, रमना रोड, बुनकर टोली, स्टेशन रोड, भटबिगहा और नई गोदाम इलाके में कुत्तों के झुंड अक्सर लोगों पर हमला कर देते हैं। लोगों का कहना है कि कई बार बाइक सवारों और पैदल चलने वालों का पीछा करते हुए कुत्ते उन्हें गिरा देते हैं, जिससे और चोट लग जाती है।
निगम पर उठ रहे सवाल, कार्रवाई सीमित:
स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि नगर निगम द्वारा कुत्तों को पकड़ने की कार्रवाई कागजों तक ही सीमित है। कई मोहल्लों में कुत्तों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि लोग सुबह-शाम घरों से निकलने से पहले दो बार सोचते हैं।
हालांकि नगर निगम का दावा है कि कुत्ता गिनती, टीकाकरण और बंध्याकरण अभियान लगातार चल रहा है, लेकिन कुत्तों की तेज़ प्रजनन दर और आबादी घनत्व के कारण अभियान का असर फिलहाल सीमित है। निगम ने घोषणा की है कि अगले महीने एक विशेष ड्राइव चलाकर बाहरी एजेंसी की मदद से बड़े पैमाने पर कुत्तों को पकड़कर शिविरों में रखा जाएगा।
शहरवासी स्थायी समाधान की मांग कर रहे:
लगातार बढ़ते मामलों ने शहरवासियों में भय और नाराजगी दोनों बढ़ा दिए हैं। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन व्यापक स्तर पर बंध्याकरण, टीकाकरण और पुनर्वास जैसे ठोस कदम नहीं उठाता, हालात में सुधार मुश्किल है। गयाजी में कुत्तों का बढ़ता आतंक अब केवल परेशान करने वाला मुद्दा नहीं, बल्कि एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट बन चुका है, जिसका तुरंत समाधान आवश्यक है।

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