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    Pitru Paksha 2023: विदेश से मोक्षभूमि गया पहुंचे श्रद्धालु, जर्मन महिलाओं ने भारतीय परिधान में किया कर्मकांड

    By Edited By: Shashank Shekhar
    Updated: Wed, 11 Oct 2023 08:17 PM (IST)

    Pitru Paksha Mela गया को मोक्ष की भूमि कहा जाता है। पूर्वजों के मोक्ष को लेकर यह शहर पूरी दुनिया में मशहूर है। पितृ पक्ष महीना चल रहा है। ऐसे में विदेशी भी पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंड दान करने गयाजी पहुंच रहे हैं। बुधवार को जर्मनी से भी दर्जन श्रद्धालु पिंडदान और तर्पण करने गया पहुंचे। इन लोगों ने भारतीय परिधान में कर्मकांड किया।

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    विदेश से मोक्षभूमि गया पहुंचे श्रद्धालु, जर्मन महिलाओं ने भारतीय परिधान में किया कर्मकांड

    संजय कुमार, गया। मोक्षभूमि गयाजी में फल्गु तट पर अपने पितरों को तर्पण-अर्पण करते हजारों लोग। इनमें कुछ ऐसे चेहरे, जो भारत के नहीं, पर सनातनी आस्था में समाहित जीवन-मरण के बंधन से मुक्ति बोध का दर्शन जैसे उन्हें यहां खींच लाया हो।

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    बुधवार को जर्मनी से आई महिलाएं और पुरुष बड़े आत्मिक भाव से उन विधानों का निर्वहन कर रहे थे, जो भारत के समाज का संस्कार रक्त है। विदेशी नागरिकों में भी वही भाव वसुधैव कुटुंबकम की उस भारतीय अवधारणा को साकार करता हुआ, जहां मोक्ष की कामना में कोई अपना-पराया नहीं।

    मोक्ष भूमि के लिए प्रसिद्ध है गया

    गया (लोग श्रद्धा से इसे गयाजी बोलते हैं) मोक्ष भूमि के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें हिंदुओं की आस्था तो है ही, अन्य धर्मावलंबी भी इसी भाव से आते हैं। जर्मनी से आए 12 सदस्यीय दल में 11 महिलाएं और एक पुरुष हैं। फल्गु तट पर पिंडदान व तर्पण का विधान संपन्न करते समय उनके चेहरों पर असीम शांति छाई थी।

    नातालिव ने कहा कि पति की मृत्यु के बाद बहुत बेचैन रहती थी। यहां उनके आत्मा का मोक्ष भाव लेकर आई हैं। पिंडदान के असीम शांति की अनुभूति हो रही है। उनके साथ स्वेतलाना, इरीना, केविन, नातालिव, मारग्रेटा, वेलेंटिना, एलिक सेंट्रा आदि भी थीं।

    मारग्रेटा ने बताया कि उनके बेटे का निधन दो साल पहले हो गया था। कर्मकांड के बाद मन हल्का लग रहा है। उन्होंने सनातन में पिंडदान और तर्पण के महत्व के बारे में जाना है।

    जर्मनी से आईं नताशा ने गयाजी में किया पिंडदान

    उन्होंने बताया कि धर्मगुरु नताशा सपनों से प्रेरित होकर अपने देश जर्मनी से आई हैं। नताशा रूस के मास्को शहर में रहती हैं। कई देशों में सनातन के जीवन दर्शन के बारे में बता रही हैं। यहां वे आचार्य लोकनाथ गौड़ के साथ आई हैं। वही कर्मकांड करा रहे हैं।

    गौड़ ने बताया कि नताशा की हिंदू जागृति नाम की संस्था है और इसका मास्को में कार्यालय है। वे लोगों को सनातन के बारे में बताती हैं। उनसे प्रभावित होकर कई देश के लोग यहां तर्पण को आ रहे हैं। इनमें रूस, यूक्रेन, जर्मनी, यूएसए आदि देशों के श्रद्धालु हैं।

    यूलिया जीटो यूक्रेन से आई हैं। उन्होंने रूस-यूक्रेन में अपने माता-पिता और सगे संबंधियों को खो दिया। वे युद्ध में मारे गए दोनों देशों के लोगों के लिए प्रार्थना कर रही हैं।

    भारतीय परिधान ने विदेश महिलाओं ने की कर्मकांड 

    कर्मकांड कर रहीं विदेशी महिलाएं पूरी तरह भारतीय परिधान में थीं। सभी ने हल्के आसमानी रंग की साड़ी पहन रखी थी। एक पुरुष धोती में वैदिक मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे। सभी ने फल्गु में तर्पण के बाद विष्णुपद मंदिर में भी श्रीहरि विष्णु का पूजन किया।

    गौड़ ने बताया कि विदेशी श्रद्धालु तीन दिनों तक कर्मकांड कर रहे हैं। 13 अक्टूबर को अक्षयवट वेदी पर पिंडदान के बाद उनका संकल्प पूर्ण हो जाएगा और फिर लौट जाएंगे।

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