क्रिसमस डे पर इंजिनियर की बेटी को याद करता है दाउदनगर, सिपहां लॉक पर ईवा का है मजार
13 सितंबर 1872 को पटना कैनाल का उद्घाटन 1879 में इंजिनियर की पुत्री इवा का निधन 11 वर्ष की मात्र थी इवा नहर में जब थी डूबी औरंगाबाद के लिए खास। 1957 में मिट्टी की ढेर में दबा मिला था मजार

औरंगाबाद, जेएनएन। जब देश क्रिसमस डे मना रहा होता है तो दाऊदनगर शहर एक अंग्रेज अधिकारी की बेटी को याद करता है। सिपहां लॉक पर ईवा का मजार है। 13 सितम्बर 1872 को पटना कैनाल का उद्घाटन हुआ था। एबाईन निक्सन अभियंता के रूप में सिपहा लॉक पर पदस्थापित किये गये। उसी अधिकारी की पुत्री थी इवा। कैनाल लॉग बुक के अनुसार पटना कैनाल से यात्रा करने वाले यात्री यहाँ पूजा अर्चना करते थे। निक्सन सपरिवार लॉक पर बने आवास पर ही रहते थे। सन् 1879 में घूमने खेलने के क्रम में 11 वर्षीय ईभा या इवा का लॉक में गिरने से निधन हो गया था। ईभा के अंतिम संस्कार निक्सन ने लॉक से उत्तर दोनों नहरों के बीच में किया तथा क्रास आकार का मेमोरी स्टोन के साथ कब्र भी बनवाया। कालांतर में नहर के जीर्णोदार के समय मिट्टी डाले जाने से मेमोरी स्टोन मिट्टी में दब गया। कॉलेज से सेवानिवृत गणेश गुप्ता फोटोग्राफी के क्रम में 1957 ई. में सिपहां लॉक गये तो नीचे उतरने पर उन्हें मिट्टी में छिपा मेमोरी स्टोन दिखाई पड़ा जिस पर लिखा था-इन मेमोरियम इवा संत एबाईन निक्सन 1879, उसी समय उनके मन में विचार आया कि सन् 1979 आने पर शताब्दी वर्ष मनायेंगे। दिन समय व्यतीत होते गये। व्यस्त जीवन में गणेश गुप्ता सब कुछ भूल गए थे।
पुत्री का नाम गणेश प्रसाद ने रखा इवा
अचानक 24 दिसम्बर 1979 को गणेश प्रसाद ने स्वपन देखा। वहां गए और पूजा अर्चना की, जो आज तक जारी है। उन्होंने संतान प्राप्ति की मन्नत मांगी थी। 31 मई 1983 को उनके घर शादी के 13 वर्षों के बाद पुत्री का जन्म हुआ तो पूरा घर खुशी से झुम उठा। उस पुत्री का नामकरण भी ईभा रखा गया और 11 वर्षो तक पूजा का संकल्प लिया। वर्ष 1984 से पूजा अर्चना शुरू की। इसके बाद मजार की ख्याति बढ़ती गई आते-जाते लोग भी पूजा अर्चना में शामिल होने लगे और मन्नते मांगने लगे। इस बार कोरोना संक्रमण के कारण सामाजिक दूरी रख कर आयोजन किया जाना तय किया गया है।
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